
नई दिल्ली: साल 2025 में चांदी ने निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न दिया है। अब जानकारों का मानना है कि साल 2026 की पहली तिमाही में इसकी कीमतों में और तेजी आ सकती है। निवेशकों की बढ़ती मांग और सप्लाई में कमी इसे भविष्य में और अधिक आकर्षक बना रही है।
कीमतों का हाल:
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में चांदी का भाव 67 डॉलर प्रति औंस के पार जा चुका है, जो नया रिकॉर्ड है। साल 2025 में चांदी ने अब तक 127.5% से अधिक रिटर्न दिया है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि मार्च 2026 तक यह 70 से 80 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती है। इसीलिए, जब भी कीमतें थोड़ी कम हों, निवेशकों को चांदी खरीदने की सलाह दी जा रही है।
विशेषज्ञों की राय:
एमके ग्लोबल की रिसर्च एनालिस्ट रिया सिंह के अनुसार, लंदन और चीन में चांदी की सप्लाई कम होने से इसके दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। अमेरिका को निर्यात बढ़ने और Comex पर प्रीमियम ज्यादा होने के कारण फिजिकल मार्केट में सप्लाई की कमी और बढ़ गई है। इसके अलावा, चांदी ईटीएफ (ETF) में निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी ने भी सप्लाई को और सीमित कर दिया है।
बाजार में निवेश का पैटर्न:
जेएम फाइनेंशियल के कमोडिटी और करेंसी रिसर्च के वाइस प्रेसिडेंट प्रणव मेर बताते हैं कि रिटेल निवेशकों और उच्च नेटवर्थ वाले निवेशकों (HNI) ने ईटीएफ में भारी निवेश किया है। इसका नतीजा यह हुआ कि फिजिकल चांदी का स्टॉक लगभग दो साल की वैश्विक खपत की मांग को पूरा करने के स्तर तक पहुँच गया है।
औद्योगिक मांग भी बढ़ी:
चांदी सिर्फ निवेश का जरिया नहीं रह गई है, बल्कि इसका औद्योगिक उपयोग भी बढ़ा है। सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक वाहन और एआई-टेक्नोलॉजी में चांदी की जरूरत बढ़ी है। इन उद्योगों में हाल के वर्षों में निवेश की मात्रा भी अधिक हुई है।
आगे की संभावनाएँ:
कोटक सिक्योरिटीज के कायनात चैनवाला के अनुसार, साल 2026 से चीन चांदी के निर्यात को सीमित करेगा, जिससे सप्लाई और कम होगी। आनंद राठी के नवीन माथुर का कहना है कि 2026-27 तक सप्लाई की कमी बनी रहेगी। हालांकि, कीमतों में बढ़ोतरी साल 2025 के मुकाबले थोड़ी कम हो सकती है, फिर भी 2026 की पहली तिमाही में चांदी सोने से बेहतर प्रदर्शन कर सकती है।