
नई दिल्ली: वैश्विक रिटेल परिदृश्य में भारत इन दिनों एक सकारात्मक उदाहरण बनकर उभर रहा है। जबकि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में शॉपिंग मॉल लगातार बंद हो रहे हैं, भारत का रिटेल सेक्टर मजबूत और तेजी से बढ़ रहा है। रियल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म एनारॉक के अनुसार, भारत में रिटेल सेक्टर में नई जान आ गई है और निवेशकों की रुचि तेजी से बढ़ रही है।
अमेरिका में उल्टी बयार:
साल 2020 के बाद अमेरिका में लगभग 1200 मॉल बंद हो चुके हैं। खाली पड़े मॉल की बढ़ती संख्या के कारण लगभग 40% मॉल को या तो दोबारा जोन किया जा रहा है या उनका इस्तेमाल किसी और काम के लिए किया जा रहा है।
भारत में तेजी के कारण:
एनारॉक ग्रुप के सीईओ अनुज केजरीवाल के अनुसार, भारत में रिटेल सेक्टर की मजबूती का मुख्य कारण युवा आबादी, कम प्रतिस्पर्धा और संगठित रिटेल में सप्लाई की कमी है। भारत में प्रति व्यक्ति रिटेल स्टॉक अमेरिका और चीन की तुलना में सबसे कम है। इसके साथ ही पिछले दशक में भारत की प्रति व्यक्ति आय में दोगुनी बढ़ोतरी हुई, जिससे मांग और आपूर्ति में एक खास संतुलन बन गया है।
पूरी क्षमता से चल रहे मॉल:
भारत के प्रीमियम मॉल लगभग पूरी क्षमता से संचालित हो रहे हैं। किराए महामारी से पहले के स्तर को पार कर चुके हैं। अब मॉल केवल खरीदारी की जगह नहीं, बल्कि मनोरंजन, खान-पान और सामाजिक मेलजोल के लिए भी प्रमुख डेस्टिनेशन बन गए हैं। हफ्ते के दिनों में रोजाना 20,000 से अधिक लोग और वीकेंड पर 40,000 से ज्यादा लोग मॉल आते हैं। कुल फुट ट्रैफिक का 30-35% हिस्सा मनोरंजन और खाने-पीने से आता है।
ई-कॉमर्स का असर नहीं:
भारत में ऑनलाइन रिटेल की पैठ लगभग 8% है, जो अमेरिका और चीन के 20% से कम है। इसका मतलब है कि फिजिकल रिटेल भारतीय बाजार में अभी भी मजबूत है और डिजिटल चैनलों के साथ समन्वय करके अधिक फायदा उठा सकता है।
भविष्य के अवसर:
एनारॉक का अनुमान है कि भारत साल 2030 तक 6 ट्रिलियन डॉलर की खपत वाली अर्थव्यवस्था बन सकता है। यह अंतरराष्ट्रीय खुदरा विक्रेताओं और निवेशकों के लिए लंबी अवधि के अवसर प्रदान करेगा और भारत को वैश्विक रिटेल में महत्वपूर्ण स्थान दिलाएगा।