Tuesday, December 23

बिहार में अपराध पर नीतीश सरकार का पलटवार: हत्या में 7.72% कमी, तेजस्वी के क्राइम बुलेटिन को आंकड़ों से जवाब

 

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पटना।

बिहार की राजनीति में लंबे समय से ‘क्राइम, करप्शन और कम्युनलिज्म’ को लेकर सवालों के घेरे में रहने वाली नीतीश कुमार सरकार ने अपराध के मुद्दे पर विपक्ष को कड़े आंकड़ों के साथ जवाब दिया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव द्वारा जारी किए जा रहे ‘क्राइम बुलेटिन’ के बीच राज्य सरकार ने वार्षिक अपराध रिपोर्ट जारी कर दावा किया है कि बिहार में अपराध में लगातार गिरावट दर्ज की गई है।

 

गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने संयुक्त प्रेस वार्ता में बताया कि वर्ष 2025 में राज्य में हत्या के मामलों में 7.72 प्रतिशत, डकैती में 24.87 प्रतिशत और दंगा से जुड़े मामलों में 17.97 प्रतिशत की कमी आई है। सरकार का कहना है कि यह गिरावट दुरुस्त पुलिसिंग और मजबूत खुफिया तंत्र का नतीजा है।

 

महिलाओं के खिलाफ अपराध राष्ट्रीय औसत से आधा

 

सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भी बड़े दावे किए हैं। एनसीआरबी के 2023 के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया गया कि बिहार में महिलाओं के खिलाफ अपराध दर 37.5 है, जबकि राष्ट्रीय औसत 66.2 है। इसी तरह अनुसूचित जाति और जनजाति के खिलाफ अपराध की दर बिहार में 8.5 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत 12.4 प्रतिशत से कम है।

इन मामलों में आरोप पत्र दाखिल करने की दर 87.9 प्रतिशत बताई गई है।

 

अपराधियों पर सख्ती, संपत्ति जब्ती की कार्रवाई

 

गृह विभाग के अनुसार, इस वर्ष 25 कुख्यात अपराधियों के खिलाफ निरुद्ध आदेश पारित किए गए हैं। अपराध से अर्जित संपत्ति को लेकर 1419 अपराधियों की पहचान की गई है, जिनमें से 405 मामलों का प्रस्ताव अदालत को भेजा गया है।

70 मामलों में संपत्ति जब्ती की प्रक्रिया जारी है, जबकि 3 मामलों में जब्ती का आदेश हो चुका है।

 

जनवरी से नवंबर 2025 तक 12 लाख 50 हजार लोगों पर निरोधात्मक कार्रवाई की गई, जबकि 3 लाख 81 हजार से अधिक लोगों से बॉन्ड भरवाया गया। क्राइम कंट्रोल एक्ट के तहत 1949 अपराधियों को जिला या थाना बदर किया गया।

 

गिरफ्तारी और बरामदगी के आंकड़े

 

सरकार के मुताबिक, वर्ष 2025 में हत्या, डकैती, लूट, एससी-एसटी और दुष्कर्म जैसे संगीन अपराधों में 3 लाख 35 हजार 116 अपराधियों की गिरफ्तारी हुई है। इस दौरान 4528 हथियार और 28,414 कारतूस भी बरामद किए गए।

सांप्रदायिक घटनाओं से जुड़े मामलों में 2024 और 2025 के दौरान 437 मामलों में अभियोजन की स्वीकृति दी गई है।

 

पुलिस बल को मजबूत करने पर जोर

 

अपराध नियंत्रण के लिए पुलिस बल में बड़े पैमाने पर बहाली की जा रही है। जून 2025 में 21,391 सिपाहियों की नियुक्ति पूरी हो चुकी है, जबकि 19,838 सिपाहियों की बहाली प्रक्रिया जारी है।

इसके अलावा 4361 चालक सिपाहियों की नियुक्ति और 1799 दारोगा पदों की लिखित परीक्षा जनवरी 2026 में प्रस्तावित है। हाल ही में राजगीर स्थित बिहार पुलिस अकादमी से 1218 दारोगा पासआउट हुए हैं।

 

छात्राओं और महिलाओं की सुरक्षा पर विशेष ध्यान

 

राज्य के 855 थानों में महिला हेल्प डेस्क स्थापित की गई है, जिनमें ट्रांसजेंडरों को भी सहायता की जिम्मेदारी दी गई है। स्कूल-कॉलेज जाने वाली छात्राओं की सुरक्षा के लिए अभय ब्रिगेड गठित की गई है। महिला सिपाहियों के लिए 2000 स्कूटी खरीदने का प्रस्ताव भी तैयार किया गया है।

 

सरकार का दावा बनाम विपक्ष का सवाल

 

सरकार जहां अपराध में कमी के आंकड़ों के जरिए ‘सुशासन’ का दावा कर रही है, वहीं विपक्ष लगातार कानून-व्यवस्था पर सवाल उठा रहा है। अब देखना यह होगा कि आने वाले चुनावी माहौल में जनता किसके आंकड़ों और दावों पर भरोसा करती है—सरकार के या विपक्ष के।

 

 

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