
भारत में प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की उच्च फीस और सीमित सीटों के कारण हर साल हजारों भारतीय छात्र विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करने का रुख करते हैं। विदेश में पढ़ाई न केवल किफायती है, बल्कि कम प्रेशर वाले क्लिनिकल ट्रेनिंग के अवसर भी मिलते हैं। साथ ही, टॉप यूनिवर्सिटी से डिग्री लेने वाले स्टूडेंट्स को वहां बेहतर जॉब और अच्छी सैलरी मिलने की संभावना अधिक होती है।
अगर आप 2026 में विदेश में MBBS करने का प्लान कर रहे हैं, तो टॉप यूनिवर्सिटी का चयन करना सबसे अहम है। क्यूएस यूनिवर्सिटी रैंकिंग के अनुसार, मेडिकल की पढ़ाई के लिए दुनिया की टॉप-10 यूनिवर्सिटी इस प्रकार हैं:
- हार्वर्ड यूनिवर्सिटी – अमेरिका
- ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी – ब्रिटेन
- स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी – अमेरिका
- जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी – अमेरिका
- कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी – ब्रिटेन
- कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, सैन फ्रांसिस्को – अमेरिका
- इंपीरियल कॉलेज लंदन – ब्रिटेन
- UCL लंदन – ब्रिटेन
- कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट – स्वीडन
- येल यूनिवर्सिटी – अमेरिका
इन यूनिवर्सिटीज की खासियत यह है कि यहां से डिग्री लेने वाले स्टूडेंट्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोजगार के मौके आसानी से मिलते हैं।
महत्वपूर्ण जानकारी:
- अमेरिका में सीधे MBBS में एडमिशन नहीं मिलता। पहले चार साल का ग्रेजुएशन करना होता है और उसके बाद MCAT एंट्रेंस टेस्ट पास करके Doctor of Medicine (MD) की डिग्री हासिल की जा सकती है, जो भारत के MBBS के बराबर मानी जाती है।
- ब्रिटेन में छात्र सीधे MBBS में एडमिशन ले सकते हैं और 5-6 साल में डिग्री पूरी होती है।
विदेश में मेडिकल पढ़ाई की योजना बनाने वाले छात्रों के लिए सही यूनिवर्सिटी का चयन और एडमिशन प्रक्रिया समझना बहुत जरूरी है, ताकि पढ़ाई और करियर दोनों में सफलता सुनिश्चित हो।