
बिहार की राजधानी पटना में पुलिस बल की कार्यकुशलता, अनुशासन और जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक सत्यापन अभियान शुरू किया गया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्तिकेय शर्मा के नेतृत्व में यह अभियान जिले में तैनात लगभग 7,000 पुलिस कांस्टेबलों की सक्रियता और ड्यूटी पर वास्तविक उपस्थिति की जाँच पर केंद्रित है।
एसएसपी ने इस विशाल प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए 7 वरिष्ठ अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी है। प्रत्येक अधिकारी को लगभग 1,000 कांस्टेबलों की ड्यूटी स्थल पर जाकर जांच करने का काम सौंपा गया है।
भौतिक निरीक्षण पर जोर:
अधिकारियों को केवल फाइलों या हाजिरी रजिस्टर के भरोसे रहने की अनुमति नहीं है। उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि वे प्रत्येक कांस्टेबल के तैनाती स्थल या प्रतिनियुक्ति स्थान पर जाकर स्वयं निरीक्षण करें। इस ‘भौतिक निरीक्षण’ का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जवान सौंपे गए कार्यस्थल पर सक्रिय रूप से ड्यूटी कर रहे हैं या नहीं। इससे ड्यूटी से गैरहाज़िरी या किसी भी प्रकार की विसंगति की संभावना समाप्त होगी।
समय सीमा और रिपोर्टिंग:
सत्यापन अभियान को 20 दिसंबर तक पूरा करने की कड़ी समय सीमा रखी गई है। जांच अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने निरीक्षण के बाद विस्तृत रिपोर्ट एसएसपी को सौंपें। बुधवार से ही अधिकारियों ने विभिन्न थानों, चौकियों और महत्वपूर्ण सुरक्षा बिंदुओं का दौरा कर अभियान की सक्रिय शुरुआत कर दी है।
एसएसपी कार्तिकेय शर्मा का कहना है कि यह पहल पुलिस प्रशासन की जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इस अभियान से न केवल जवानों की वर्तमान स्थिति का पता चलेगा, बल्कि भविष्य में पुलिस बल के बेहतर प्रबंधन और तैनाती में भी मदद मिलेगी।