
राजस्थान परिवहन विभाग में सामने आए 7 डिजिट VIP नंबर घोटाले पर अब शिकंजा कसता नजर आ रहा है। जयपुर आरटीओ ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 2129 वाहनों के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) ब्लैकलिस्ट कर दिए हैं। इन सभी वाहनों के मालिकों को नोटिस जारी कर फिजिकल वेरिफिकेशन के लिए जयपुर आरटीओ कार्यालय में उपस्थित होने के निर्देश दिए गए हैं।
आरटीओ के अनुसार, संदिग्ध 7 डिजिट नंबर वाले वाहन मालिकों को 24, 25 और 26 दिसंबर को जगतपुर स्थित जयपुर आरटीओ कार्यालय में अपने वाहन और संबंधित दस्तावेजों के साथ हाजिर होना होगा।
दस्तावेज नहीं मिले तो होगी FIR
परिवहन विभाग की जांच में सामने आया है कि प्रदेशभर में 10 हजार से अधिक वाहनों को फर्जी तरीके से बंद सीरीज के 7 डिजिट नंबर आवंटित कर दिए गए। जयपुर जिला भी इस फर्जीवाड़े से अछूता नहीं रहा।
आरटीओ ने स्पष्ट किया है कि वाहन मालिकों को यह साबित करना होगा कि उन्हें 7 डिजिट नंबर कानूनी प्रक्रिया के तहत मिले हैं। यदि कोई भी वाहन मालिक वैध दस्तावेज प्रस्तुत करने में असफल रहा, तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी।
क्या है पूरा घोटाला
परिवहन विभाग ने वर्ष 1989 से पहले की रजिस्ट्रेशन सीरीज को बंद कर दिया था। इसके बावजूद कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलीभगत कर बंद सीरीज के नंबर जारी कर दिए।
जांच में सामने आया कि—
- जिन वाहनों की रजिस्ट्रेशन अवधि समाप्त हो चुकी थी, उन्हें मनमाने ढंग से आगे बढ़ा दिया गया
- कबाड़ हो चुके पुराने वाहनों के नंबर नए वाहनों को बेच दिए गए
- मोपेड और पुराने वाहनों का फर्जी बैकलॉग दिखाकर रजिस्ट्रेशन किया गया
- घोटाले को छुपाने के लिए आरटीओ कार्यालयों से रिकॉर्ड तक गायब करा दिए गए
नेताओं और उद्योगपतियों तक पहुंचा खेल
इस घोटाले की सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि इन VIP 7 डिजिट नंबरों को सांसदों, विधायकों, वरिष्ठ अधिकारियों और बड़े उद्योगपतियों ने भी खरीदा।
करीब 7 महीने पहले जयपुर आरटीओ कार्यालय से यह फर्जीवाड़ा उजागर हुआ था। बाद में कराई गई विभागीय जांच में कई जिलों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां सामने आईं। जांच रिपोर्ट के अनुसार इस घोटाले में करीब 500 करोड़ रुपये के लेनदेन की आशंका जताई गई है।
सख्त कार्रवाई के संकेत
परिवहन विभाग ने साफ कर दिया है कि मामले में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। नियमों के खिलाफ जारी किए गए सभी VIP नंबरों की जांच की जा रही है और दोषी अधिकारियों, कर्मचारियों के साथ-साथ अवैध लाभ लेने वाले वाहन मालिकों पर भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।