
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के महोबा जिले में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत हुए एक बड़े घोटाले ने प्रशासन और बीमा व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है। जालसाजों ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे किसानों की जमीन ही नहीं, बल्कि नदी-नालों, चकमार्गों, पहाड़ों और वन विभाग की भूमि तक का बीमा कराकर करीब 40 करोड़ रुपये का अवैध लाभ उठा लिया।
इस सनसनीखेज मामले में बीमा कंपनी इफको टोकियो के जिला प्रबंधक निखिल को पुलिस ने 112 दिनों की फरारी के बाद गिरफ्तार कर लिया है। उनके साथ तीन अन्य आरोपियों को भी जेल भेजा गया है।
जांच में उजागर हुई साजिश
जिलाधिकारी गजल भारद्वाज के निर्देश पर कराई गई जांच में बीमा कंपनी के अधिकारियों, जनसेवा केंद्र (सीएससी) संचालकों और कृषि विभाग के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आई है। अब तक इस प्रकरण में बीमा कंपनी के प्रबंधक सहित 26 नामजद और कई अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा चुका है।
पुलिस अब तक महिला समेत 23 आरोपियों को जेल भेज चुकी है। इनमें सीएससी संचालक और बीमा कर्मी भी शामिल हैं। इसके अलावा कृषि विभाग के बीमा पटल सहायक अतुलेंद्र विक्रम सिंह को निलंबित कर दिया गया है।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा
जालसाजों ने चकबंदी प्रक्रिया वाले गांवों को निशाना बनाया, जहां ऑनलाइन पोर्टल पर भू-स्वामी और बटाईदार का स्पष्ट डाटा उपलब्ध नहीं रहता। इसका फायदा उठाते हुए उन्होंने मात्र 10 रुपये के स्टांप पेपर पर खुद को फर्जी बटाईदार दिखाकर जमीन का बीमा करा लिया और बाद में क्लेम भी प्राप्त कर लिया।
चौंकाने वाली बात यह रही कि बीमा कंपनी ने बिना समुचित सत्यापन के ही क्लेम का भुगतान कर दिया।
कई थानों में दर्ज हैं मुकदमे
जिले के सदर कोतवाली, चरखारी, कुलपहाड़, पनवाड़ी और अजनर थानों में अब तक कुल छह मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। 24 सितंबर को जिला सत्र न्यायालय ने पांच आरोपियों की जमानत याचिका भी खारिज कर दी थी।
केंद्र तक पहुंचा मामला
समाजवादी पार्टी के सांसद अजेंद्र सिंह लोधी के हस्तक्षेप के बाद यह मामला केंद्र सरकार तक पहुंचा। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की है। शासन ने महोबा और हमीरपुर के जिलाधिकारियों को विस्तृत जांच कर जल्द रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं।
हजारों पॉलिसियां लौटाईं गईं
खरीफ 2025 सीजन में जिले में कुल 2,67,779 फसल बीमा पॉलिसियां हुई थीं। इनमें से डाटा में गड़बड़ी पाए जाने पर बीमा कंपनी ने 46,218 पॉलिसियां वापस कर दी हैं। प्रशासन के अनुसार पॉलिसियां निरस्त नहीं की गईं, बल्कि सत्यापन के लिए लौटाई गई हैं।
किसानों में रोष
इस घोटाले ने किसानों के भरोसे को गहरी चोट पहुंचाई है। किसान संगठनों ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और लूटी गई रकम की वसूली की मांग की है। प्रशासन का दावा है कि मामले की गहन जांच जारी है और दोषी पाए जाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।