
नई दिल्ली, 18 दिसंबर 2025: राज्यसभा में ‘परमाणु ऊर्जा रूपांतरण विधेयक’ (SHANTI बिल 2025) पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने सरकार से तीखा सवाल पूछा और भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि 2008 में भारत और अमेरिका के बीच हुए परमाणु करार का सबसे कड़ा विरोध बीजेपी ने किया था।
जयराम रमेश ने सदन को बताया, “उस वक्त बीजेपी ने कहा था कि परमाणु ऊर्जा का कोई भविष्य नहीं है, इसलिए इसका विरोध किया जा रहा है। जबकि इसी करार की बदौलत अमेरिका और भारत के बीच कई द्विपक्षीय मार्ग खुले। आज पेश किए गए ‘परमाणु ऊर्जा रूपांतरण विधेयक’ भी उसी का परिणाम है।”
कांग्रेस ने जताई आलोचना
सांसद ने कहा कि नए बिल में मौजूदा कानूनों – एटॉमिक एनर्जी एक्ट, 1962 और सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट, 2010 – को बदलने का प्रस्ताव है। जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि सरकार इस बिल के जरिए निजी और विदेशी कंपनियों को परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में प्रवेश का रास्ता दे रही है, जिससे सार्वजनिक सुरक्षा और राष्ट्रीय संप्रभुता पर खतरा बढ़ सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि 2014 के बाद की तारीख को लेकर भाजपा द्वारा प्रचार किया जा रहा है, जबकि हकीकत यह है कि कांग्रेस शासनकाल में ही स्पेस और परमाणु कार्यक्रमों को पर्याप्त बढ़ावा मिला था। जयराम ने अटल बिहारी वाजपेयी के अनुभवों का भी हवाला देते हुए कहा कि वर्तमान सरकार को उनसे सबक सीखना चाहिए।