Thursday, December 18

राष्ट्रपति अवॉर्ड पर उठे सवाल, बाड़मेर कलेक्टर टीना डाबी के आंकड़ों को लेकर संसद तक मचा हंगामा

बाड़मेर/नई दिल्ली। देश की चर्चित आईएएस अधिकारी और बाड़मेर की जिला कलेक्टर टीना डाबी को हाल ही में मिले राष्ट्रपति अवॉर्ड पर अब गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। जल शक्ति अभियान और जल संचय जन भागीदारी योजनाओं में उल्लेखनीय कार्य के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा सम्मानित की गई टीना डाबी की कार्यप्रणाली और प्रस्तुत किए गए आंकड़ों को लेकर विवाद संसद तक पहुंच गया है।

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बाड़मेर-जैसलमेर से सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने लोकसभा में इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाते हुए आरोप लगाया कि सम्मान हासिल करने के लिए गलत और भ्रामक आंकड़े पेश किए गए। सांसद ने कहा कि एक वर्ष की उपलब्धि दिखाने के बजाय चार से पांच वर्षों के कार्यों को जोड़कर प्रस्तुत किया गया, जिससे वास्तविकता को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया।

लोकसभा में लगाए गंभीर आरोप
लोकसभा में विकसित भारत गारंटी रोजगार एवं आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025 पर चर्चा के दौरान सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने कहा कि यह सिर्फ वाहवाही लूटने और पुरस्कार पाने का प्रयास था। उन्होंने आरोप लगाया कि टीना डाबी ने जानबूझकर पुराने कार्यों को एक साल की उपलब्धि बताकर प्रस्तुत किया, जो न केवल प्रशासनिक नैतिकता के खिलाफ है, बल्कि जनता के साथ भी छल है।

‘दिशा’ बैठक से शुरू हुआ विवाद
इस पूरे मामले की जड़ 25 नवंबर 2025 को हुई जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (DISHA) की बैठक बताई जा रही है। बैठक के दौरान सांसद बेनीवाल ने राष्ट्रपति अवॉर्ड से जुड़े कार्यों और आंकड़ों का विस्तृत ब्यौरा मांगा था। कलेक्टर कार्यालय और जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा प्रस्तुत आंकड़े औपचारिक रूप से सही नजर आ रहे थे, लेकिन चर्चा के दौरान स्वयं कलेक्टर टीना डाबी ने स्वीकार किया कि सम्मान के लिए पिछले चार-पांच वर्षों के कार्यों को एक वर्ष की उपलब्धि के रूप में जोड़ा गया था। इसी स्वीकारोक्ति के बाद मामला राजनीतिक और प्रशासनिक विवाद में बदल गया।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी उठाए सवाल
बाड़मेर जिले की शिव विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने भी टीना डाबी के आंकड़ों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि धरातल पर किए गए कार्य और सम्मान पाने के लिए दिखाए गए आंकड़े आपस में मेल नहीं खाते। भाटी ने आरोप लगाया कि पुराने विकास कार्यों को नई उपलब्धि बताकर प्रस्तुत किया गया, जो पूरी तरह बनावटी है।

प्रशासनिक साख पर असर
इस विवाद ने न केवल टीना डाबी के राष्ट्रपति अवॉर्ड को कठघरे में खड़ा कर दिया है, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता और पुरस्कारों की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि केंद्र सरकार और संबंधित मंत्रालय इस पूरे मामले में क्या रुख अपनाते हैं और क्या इन आरोपों की किसी स्तर पर जांच होगी।

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