Thursday, December 18

बांग्लादेश में भारत-विरोधी ज़हर कौन घोल रहा है? कट्टरपंथ और पाकिस्तान की बढ़ती दखलअंदाज़ी से बिगड़ते रिश्ते

नई दिल्ली: भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में तेजी से बढ़ता तनाव अब केवल कूटनीतिक चिंता नहीं, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर चेतावनी बनता जा रहा है। फरवरी 2026 में प्रस्तावित बांग्लादेशी चुनावों से पहले पड़ोसी देश में जिस तरह भारत-विरोधी गतिविधियां तेज हुई हैं, उसने दोनों देशों के दशकों पुराने भरोसे को झकझोर दिया है।

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एक समय शेख हसीना के नेतृत्व में भारत-बांग्लादेश संबंधों को रणनीतिक साझेदारी का मॉडल माना जाता था, लेकिन मौजूदा हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। हाल के महीनों में बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले, भारत-विरोधी बयानबाजी और अब ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग को घेरने की कोशिश ने नई दिल्ली की चिंता बढ़ा दी है।

ढाका में उग्र प्रदर्शन, भारतीय मिशन निशाने पर

बुधवार को ‘जुलाई यूनिटी’ के बैनर तले सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने ढाका में भारतीय उच्चायोग की ओर मार्च किया और भारत-विरोधी नारे लगाए। हालांकि पुलिस ने समय रहते स्थिति को नियंत्रित कर लिया, लेकिन इस घटना ने भारतीय मिशन की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।

इसी बीच सुरक्षा खतरे को देखते हुए ढाका में भारतीय वीजा एप्लीकेशन सेंटर को बंद करना पड़ा। इससे पहले भी बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में भारतीय प्रतिष्ठानों को लेकर असहज हालात सामने आते रहे हैं।

कट्टरपंथी बयानबाजी ने बढ़ाई आग

स्थिति तब और गंभीर हो गई जब बांग्लादेश के पूर्व सैन्य अधिकारी ब्रिगेडियर जनरल (सेवानिवृत्त) अब्दुल्लाहिल अमान आजमी ने भारत को लेकर भड़काऊ बयान दिया। उन्होंने कहा कि “बांग्लादेश में शांति तभी आएगी जब भारत टुकड़ों में बंटेगा।” इस बयान को दोनों देशों के रिश्तों में ज़हर घोलने वाला माना जा रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयानबाजी केवल व्यक्तिगत राय नहीं, बल्कि बांग्लादेश में बढ़ते कट्टरपंथी प्रभाव का संकेत है।

पाकिस्तान की भूमिका पर उठे सवाल

भारत-विरोधी माहौल के पीछे पाकिस्तान की बढ़ती सक्रियता को भी एक बड़ी वजह माना जा रहा है। हाल के दिनों में पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ी राजनीतिक और सैन्य बातचीत ने इस आशंका को और मजबूत किया है कि इस पूरे घटनाक्रम के पीछे इस्लामाबाद की रणनीतिक भूमिका हो सकती है।

भारत का सख्त रुख, राजनयिक विरोध दर्ज

बिगड़ते हालात को देखते हुए भारत ने बांग्लादेश के उच्चायुक्त रियाज हमीदुल्लाह को तलब कर कड़ा विरोध दर्ज कराया। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि कुछ कट्टरपंथी तत्व ढाका में भारतीय मिशन के आसपास असुरक्षा फैलाने की योजना बना रहे हैं, जिसे भारत किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेगा।

विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, खासकर मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि न तो घटनाओं की निष्पक्ष जांच की गई और न ही भारत के साथ कोई ठोस सबूत साझा किए गए।

चुनाव से बदलेगा माहौल या बढ़ेगी अनिश्चितता?

भारत ने साफ कहा है कि वह बांग्लादेश में शांतिपूर्ण, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का समर्थक रहा है और आगे भी रहेगा। साथ ही यह उम्मीद जताई है कि बांग्लादेशी सरकार कानून-व्यवस्था बनाए रखने और भारतीय मिशनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी निभाएगी।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बांग्लादेश ने कट्टरपंथ और बाहरी हस्तक्षेप को समय रहते नहीं रोका, तो भारत से टकराव उसकी आर्थिक, कूटनीतिक और क्षेत्रीय स्थिति को और कमजोर कर सकता है।

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