
गूगल की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कंपनी डीपमाइंड ब्रिटेन में अपनी पहली पूरी तरह ऑटोमेटेड रिसर्च लैब खोलने जा रही है। यह लैब साल 2026 में शुरू होगी और इसमें इंसान नहीं, केवल रोबॉट्स और AI काम करेंगे। इंसानों का दखल सिर्फ मॉनिटरिंग और परिणामों की व्याख्या तक सीमित रहेगा।
लैब का उद्देश्य और फोकस
डीपमाइंड की इस लैब का मुख्य फोकस नए मटेरियल्स जैसे:
- बैटरियां
- सेमीकंडक्टर चिप्स
- सोलर पैनल
- सुपरकंडक्टर
इन मटेरियल्स का उपयोग मेडिकल इमेजिंग, रिन्यूएबल एनर्जी और कंप्यूटर टेक्नॉलजी को अगले स्तर तक ले जाने में किया जाएगा।
डीपमाइंड के CEO और नोबेल पुरस्कार विजेता डेमिस हैसाबिस का कहना है,
“AI में वैज्ञानिक खोजों का नया युग शुरू करने और रोजमर्रा की जिंदगी बेहतर बनाने की जबरदस्त ताकत है। ऑटोमेटेड रिसर्च लैब से इस ताकत को रफ्तार मिलेगी।”
लैब कैसे काम करेगी?
पारंपरिक रिसर्च लैब में वैज्ञानिक महीनों लगाकर काम करते हैं, लेकिन डीपमाइंड की इस नई लैब में:
- गूगल का Gemini मॉडल तय करेगा कि अगली रिसर्च क्या होगी।
- रोबॉट्स सामग्री बनाएंगे, टेस्ट करेंगे और डेटा इकट्ठा करेंगे।
- एक दिन में सैकड़ों सामग्रियां सिंथेसाइज और टेस्ट हो सकेंगी।
- इंसान सिर्फ रिजल्ट की जांच और व्याख्या करेगा।
इस लैब से 5 बड़े लाभ
- रिसर्च तेज होगी – महीनों का काम मिनटों में पूरा होगा।
- बैटरियां और सोलर पैनल्स – सस्ते सोलर पैनल्स और लंबे समय तक चलने वाली बैटरियां।
- कंप्यूटर चिप्स – तेज और कम बिजली खपत करने वाली सेमीकंडक्टर और सुपरकंडक्टर चिप्स।
- अनलिमिटेड एनर्जी – न्यूक्लियर फ्यूजन से सूरज जैसी निरंतर ऊर्जा।
- मेडिकल इमेजिंग – सुपरकंडक्टर आधारित सस्ती और बेहतर MRI मशीनें, जिससे बीमारियों का पता लगाना आसान होगा।
ब्रिटेन में बनने वाली यह पूरी तरह रोबोट-चालित AI लैब न सिर्फ वैज्ञानिक रिसर्च के तरीके बदलने वाली है, बल्कि यह ऊर्जा, मेडिकल टेक्नॉलजी और कंप्यूटिंग के भविष्य को भी नई दिशा देगी।