
सोचिए, आप एयरपोर्ट पर हैं या मॉल में घूम रहे हैं और आपका फोन अपने आप चार्ज हो रहा है, बिना किसी तार या चार्जर के। यह अब सिर्फ ख्याली बात नहीं, बल्कि भविष्य की वायरलेस चार्जिंग तकनीक की असली तस्वीर है।
मौजूदा वायरलेस चार्जिंग की समस्या
आज की वायरलेस चार्जिंग तकनीक पूरी तरह वायरलेस नहीं है। इसके लिए आपको चार्जिंग पैड को वायर से कनेक्ट करना पड़ता है और फोन को उसी पैड पर रखना होता है। अगर चार्जिंग कॉइल सही तरीके से मैच नहीं करती, तो या तो फोन चार्ज ही नहीं होता या बहुत धीरे चार्ज होता है।
नई वायरलेस टेक्नोलॉजी कैसे काम करेगी?
साउथ कोरिया की सेजोंग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी प्रणाली विकसित की है, जो लगभग 100 फीट दूर से भी डिवाइस को चार्ज कर सकती है। इसे “डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर चार्जिंग” कहा गया है।
- इस तकनीक में दो मुख्य हिस्से हैं: ट्रांसमीटर (भेजने वाला) और रिसीवर (पाने वाला)।
- ट्रांसमीटर से इन्फ्रारेड लाइट के जरिए पावर भेजी जाती है।
- रिसीवर में लगे फोटोवोल्टेइक सेल के माध्यम से यह लाइट बिजली में बदल जाती है।
- रिसीवर का साइज केवल 10 स्क्वेयर मिलीमीटर है, जिसे आसानी से फोन, लैपटॉप, टैबलेट या IoT डिवाइस में फिट किया जा सकता है।
पावर और क्षमता
वर्तमान में यह तकनीक 400 मिलीवॉट की पावर भेजने में सक्षम है। रिसीवर फिलहाल 85 मिलीवॉट बिजली उत्पन्न कर पाता है। हालांकि वैज्ञानिक इसके क्षमता बढ़ाने पर काम कर रहे हैं।
भविष्य में क्या बदलाव आएंगे
यदि इस तकनीक को और परिपक्व किया जाता है, तो:
- फोन, लैपटॉप, टैबलेट और अन्य डिवाइस बिना चार्जर कनेक्ट किए चार्ज होंगे।
- घर, ऑफिस, मॉल और एयरपोर्ट में ट्रांसमीटर लगे होंगे, जिससे डिवाइस हमेशा चार्जिंग में रहेंगे।
- चार्जिंग की टेंशन खत्म, तारों का जाल हटेगा और हमारे डिवाइस हमेशा ऑन रहेंगे।
भविष्य की वायरलेस चार्जिंग तकनीक न सिर्फ हमारी जिंदगी को आसान बनाएगी, बल्कि चार्जिंग की बाधाओं को पूरी तरह खत्म कर देगी। सिर्फ कुछ वर्षों में यह तकनीक हमारे रोजमर्रा के डिवाइस का हिस्सा बन सकती है।