Wednesday, December 17

हिजाब विवाद पर इल्तिजा मुफ्ती का नीतीश कुमार पर तीखा हमला, माफी की मांग से बढ़ा सियासी घमासान

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम के दौरान एक मुस्लिम महिला डॉक्टर का हिजाब हटाने की कोशिश का मामला अब सियासी तूल पकड़ता जा रहा है। इस घटना को लेकर जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री पर तीखा हमला बोला है और सार्वजनिक रूप से माफी की मांग की है।

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इल्तिजा मुफ्ती का आरोप

इल्तिजा मुफ्ती ने सोशल मीडिया पर जारी 57 सेकंड के वीडियो संदेश में कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक मुस्लिम महिला डॉक्टर को नियुक्ति पत्र सौंपते समय सार्वजनिक मंच पर उनका हिजाब हटाने की कोशिश कर शालीनता और मर्यादा का उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा कि एक मुस्लिम महिला के लिए हिजाब केवल कपड़ा नहीं, बल्कि उसकी पहचान और आस्था का हिस्सा है।

उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा—
“क्या सत्ता में होने का यह मतलब है कि आप किसी महिला की धार्मिक और व्यक्तिगत मर्यादा को सार्वजनिक रूप से तोड़ दें?”

‘सत्ता अपमान का अधिकार नहीं देती’

इल्तिजा मुफ्ती ने अपने बयान में कहा कि मुख्यमंत्री पद पर होने के बावजूद नीतीश कुमार को इस तरह का व्यवहार करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने यहां तक कहा कि यदि उम्र या स्वास्थ्य के कारण शालीन व्यवहार में कमी आ रही है, तो उन्हें पद छोड़ने पर विचार करना चाहिए। इस टिप्पणी को लेकर राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।

सोशल मीडिया पर तेज़ बहस

इल्तिजा मुफ्ती का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। हजारों लोग इसे देख चुके हैं और सैकड़ों प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। जहां कुछ लोग उनके बयान का समर्थन कर रहे हैं, वहीं बड़ी संख्या में यूजर्स ने इसे अनावश्यक राजनीतिक विवाद करार दिया है।

मुख्यमंत्री के समर्थन में भी उठीं आवाजें

कई लोगों ने मुख्यमंत्री का बचाव करते हुए कहा कि वीडियो में नीतीश कुमार का व्यवहार पिता-समान स्नेहपूर्ण प्रतीत होता है और उनका उद्देश्य किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाना नहीं था। समर्थकों का कहना है कि सार्वजनिक कार्यक्रमों में पहचान के लिए चेहरे का दिखना सामान्य प्रक्रिया है और इसे सांप्रदायिक रंग देना गलत है।

राजनीतिक गरमाहट तेज

हिजाब को लेकर उठे इस विवाद ने बिहार की राजनीति में नई गर्माहट ला दी है। एक ओर विपक्ष इसे अल्पसंख्यक सम्मान से जोड़कर देख रहा है, तो वहीं सत्तापक्ष इसे बेवजह तूल देने का आरोप लगा रहा है। फिलहाल, यह मामला सोशल मीडिया से निकलकर राष्ट्रीय राजनीतिक बहस का हिस्सा बन चुका है।

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