
पटना/लखनऊ: उत्तर प्रदेश और बिहार की सियासत हमेशा आपस में गहराई से जुड़ी रही है। ऐसे में यूपी बीजेपी के हालिया फैसले का असर सिर्फ़ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि बिहार के राजनीतिक समीकरणों पर भी दिखाई देगा।
भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने अनुभवी नेता पंकज चौधरी को उत्तर प्रदेश का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर एक तीर से दो निशाने साधने की रणनीति अपनाई है। एक ओर यूपी की कुर्मी राजनीति को साधना, तो दूसरी ओर बिहार में कुर्मी समाज का समर्थन जुटाना।
यूपी में कुर्मी समाज की आबादी करीब 7–8 फीसदी है और 48–50 सीटों पर इसका निर्णायक प्रभाव है। पंकज चौधरी, जो कुर्मी समुदाय से आते हैं और सात बार के सांसद रह चुके हैं, बीजेपी के लिए इस समुदाय का नेतृत्व मजबूत करने की कड़ी रणनीति साबित होंगे।
बिहार में भी इस रणनीति के निहितार्थ हैं। राज्य में 38 लाख कुर्मी मतदाता हैं, और आगामी चुनाव में नीतीश कुमार की अनुपस्थिति को देखते हुए बीजेपी इस वोट बैंक को आकर्षित करने की तैयारी में है।
बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि पंकज चौधरी का यूपी अध्यक्ष बनना सिर्फ़ पद का सवाल नहीं, बल्कि बिहार में कुर्मी वोट बैंक को जोड़ने की रणनीति भी है। अब यह देखना बाकी है कि इस रणनीति का असर चुनावी रणभूमि में कितना होता है।
संक्षेप में:
- यूपी में कुर्मी नेतृत्व मजबूत करने के लिए पंकज चौधरी प्रदेश अध्यक्ष बने।
- बिहार में कुर्मी वोट बैंक को साधने की तैयारी।
- आगामी चुनाव में नीतीश कुमार की अनुपस्थिति में बीजेपी का मास्टरस्ट्रोक।