
वॉशिंगटन/नई दिल्ली (अभिजात शेखर आजाद) – सिडनी के बोंडी बीच पर हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और अमेरिका ने संयुक्त रूप से यूनाइटेड नेशंस से अपील की है कि आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (IS), अल-कायदा, लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और उनके प्रॉक्सी नेटवर्क पर नए प्रतिबंध लगाए जाएं।
इन संगठनों को पाकिस्तान ने पहले बैन घोषित किया था, लेकिन वे अभी भी सक्रिय हैं और भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों में शामिल हैं। संयुक्त प्रस्ताव में ग्लोबल संपत्ति फ्रीज, यात्रा प्रतिबंध और हथियारों पर रोक जैसे कदम शामिल हैं। इस पहल से भारत-अमेरिका के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग और मजबूत होने का संकेत मिलता है।
हालांकि संयुक्त बयान में पाकिस्तान का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया गया, जिससे दक्षिण एशिया में रणनीतिक संतुलन बनाने की अमेरिका की कोशिशों की पुष्टि होती है। वॉशिंगटन स्थित जियो-पॉलिटिकल एक्सपर्ट शुजा नवाज ने डॉन से कहा कि “अमेरिका ने शायद पाकिस्तान का नाम लेने से परहेज किया है। उसने भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक प्रमुख पार्टनर के रूप में पेश किया है। यह दोहरी नीति कब तक चलेगी, यह देखना बाकी है।”
भारत और अमेरिकी प्रतिनिधियों, अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट की मोनिका जैकब्सन और भारत के संयुक्त सचिव विनोद बहादे ने इस मौके पर प्रशिक्षण, साइबर सुरक्षा, न्यायिक सहयोग, कानूनी सहायता और खुफिया जानकारी साझा करने पर जोर दिया। दोनों देशों ने हालिया आतंकी हमलों – पहलगाम हमला और दिल्ली के लाल किले पर हमला – की कड़ी निंदा की और दोषियों को जवाबदेह ठहराने की मांग की।
विशेष रूप से भारत ने द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को अमेरिकी वैश्विक आतंकवादी संगठन (SDGT) और विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) के रूप में नामित करने का स्वागत किया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में गर्माहट और भारत-अमेरिका की बढ़ती नजदीकी ने इस कदम को और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है। आने वाले महीनों में दोनों देशों के बीच होने वाली महत्वपूर्ण बैठकें और संयुक्त कार्य समूह (JWGCT) इस रणनीतिक संतुलन को परखेंगी और आतंकवाद विरोधी साझेदारी को और मजबूती देंगी।