
नई दिल्ली/मॉस्को (अभिजात शेखर आजाद) – भारत ने रूसी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान Su-57 को खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है। रूस पिछले दो सालों से भारत को Su-57 बेचने की कोशिश कर रहा था और इस महीने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दिल्ली दौरे से पहले कई रूसी मीडिया आउटलेट्स ने दावा किया था कि यह डील लगभग फाइनल हो गई है। लेकिन अब यह साफ हो गया है कि भारत का ध्यान स्वदेशी उन्नत लड़ाकू विमान AMCA के विकास पर ज्यादा है और वह Su-57 को खरीदकर अपनी योजना से भटकना नहीं चाहता।
भारत का फोकस स्वदेशी प्रोजेक्ट पर
रूस ने को-प्रोडक्शन और टेक्नोलॉजी शेयरिंग की पेशकश भी की थी, लेकिन भारत ने इसकी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने रूसी उपकरणों में दिलचस्पी कम दिखाई और स्वदेशी AMCA (एडवांस मीडिया कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) के निर्माण को प्राथमिकता दी। डिफेंस एक्सपर्ट्स का कहना है कि यूक्रेन युद्ध के दौरान रूसी हथियार प्रणालियों के प्रदर्शन ने कई देशों को फिर से सोचने पर मजबूर किया है। Su-57 एयर शो में शानदार प्रदर्शन कर सकता है, लेकिन इसका वास्तविक युद्ध अनुभव और सीमित उत्पादन भारत के लिए भरोसेमंद विकल्प नहीं माना जा रहा।
रूस से सहयोग जारी रहेगा
हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग खत्म हो जाएगा। भारत अभी भी रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने और T-90 बैटल टैंक (MBT) के एक वेरिएंट के निर्माण में सहयोग करने की योजना में है। Su-57 डील पर चुप्पी और अनिच्छा के बावजूद, दोनों देशों का रक्षा और आर्थिक संबंध मजबूत बने रहने की उम्मीद है।
पुतिन की उम्मीदों पर पानी
पुतिन के दौरे से पहले क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा था कि Su-57 एजेंडा में सबसे ऊपर है और इसके लिए चर्चा हो सकती है। उन्होंने दावा किया था कि Su-57 दुनिया का सबसे अच्छा लड़ाकू विमान है और भारत इसे खरीदने पर विचार करेगा। लेकिन भारत ने इस विषय पर कोई सकारात्मक संकेत नहीं दिया, जिससे रूस में निराशा का माहौल है।