
पहले प्रदूषण की चिंता सिर्फ दिल्ली-एनसीआर तक सीमित थी, लेकिन अब मुंबई भी इसकी चपेट में आने लगा है। नवंबर में मुंबई में कई जगहों पर AQI 150 के आसपास पहुंच गया, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है। यह संकेत हैं कि शहर की प्राकृतिक सुरक्षा—समुद्री और तटीय हवा—धीरे-धीरे कमजोर पड़ रही है।
प्रदूषण के प्रमुख कारण
मुंबई में वायु प्रदूषण के तीन बड़े स्रोत हैं:
- वाहनों से निकलने वाला धुआं – बढ़ती गाड़ियों की संख्या और ट्रैफिक जाम ने समस्या बढ़ाई है।
- औद्योगिक गतिविधियां – नवी मुंबई, तलोजा और अन्य क्षेत्रों में पुराने उपकरण और ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन इस्तेमाल हो रहे हैं।
- निर्माण और पुनर्विकास कार्यों से धूल – मेट्रो, कोस्टल रोड, ट्रांस-हार्बर लिंक जैसी परियोजनाओं के चलते भारी मात्रा में धूल उड़ रही है।
निर्माण और धूल: गंभीर खतरा
शहर में बड़े निर्माण और खुदाई कार्यों से PM10 स्तर बढ़ रहे हैं। कच्चा माल ढोते समय और निर्माण स्थल से उड़ती धूल आसपास के इलाकों को प्रदूषण के हॉटस्पॉट बना रही है।
तालमेल और सर्दियों में बढ़ती समस्या
सर्दियों में उत्तर और पश्चिम के राज्यों से आने वाला धुआं मुंबई के वायु गुणवत्ता को और खराब करता है। पराली जलाना और धूल फैलाना मौसमी प्रदूषण को गंभीर बनाता है।
सख्त नीति और जवाबदेही की जरूरत
मुंबई को तुरंत सख्त धूल नियंत्रण नीति लागू करनी होगी, जिसे सिटी बाइलॉज में शामिल किया जाए और रियल-टाइम मॉनिटरिंग की जाए। नगर निगम, परिवहन विभाग, PWD, पुलिस और अन्य विभागों को मिलकर काम करना होगा। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के तहत समर्पित धूल न्यूनीकरण सेल को सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
विकास बनाम स्वास्थ्य
वायु प्रदूषण केवल हवा की समस्या नहीं, बल्कि शासन और जवाबदेही का मुद्दा है। कड़े दंड, निर्माण कार्य पर रोक, कचरा जलाने पर प्रतिबंध और उद्योगों की निगरानी जैसे नियम बिना ढील लागू किए जाएं। सही योजना, तकनीक और कड़ाई से अमल करके ही मुंबई को स्वस्थ और साफ हवा वाला शहर बनाया जा सकता है।