
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया के तहत मतदाता सूची से नाम हटाए जाने को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विधानसभा क्षेत्र भवानीपुर में सबसे अधिक मतदाताओं के नाम हटाए गए। यह संख्या नेता विपक्ष सुवेंदु अधिकारी के नंदीग्राम क्षेत्र की तुलना में लगभग चार गुना अधिक है।
चुनाव आयोग के अनुसार, भवानीपुर में जनवरी 2025 तक कुल 2,06,295 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 44,787 नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए। वहीं नंदीग्राम में कुल 2,78,212 मतदाता दर्ज थे, लेकिन केवल 10,599 नाम हटाए गए। आयोग ने स्पष्ट किया कि हटाए गए नामों में मृत्यु, स्थानांतरण, पता न मिलना और डुप्लीकेट एंट्री जैसी मानक श्रेणियां शामिल हैं।
हालांकि भवानीपुर सबसे अधिक चर्चा में रहा, लेकिन सबसे ज्यादा नाम उत्तर कोलकाता के चौरंगी विधानसभा क्षेत्र से हटाए गए, जहां 74,553 मतदाताओं के नाम सूची से बाहर किए गए। इसके अलावा कोलकाता पोर्ट (63,730), टॉलीगंज (35,309), श्यामपुकुर (42,303) और बालीगंज (65,171) विधानसभा क्षेत्रों में भी बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम हटाए गए।
बीजेपी के प्रभाव वाले क्षेत्रों में भी काफी संख्या में नाम हटाए गए हैं। आसनसोल दक्षिण (39,202) और सिलीगुड़ी (31,181) में भी मतदाता सूची से नाम कटे। जिला स्तर पर दक्षिण 24 परगना सबसे आगे रहा, जहां कुल 8,16,047 मतदाताओं के नाम हटाए गए, जबकि सबसे कम नाम बांकुरा जिले के कोतुलपुर विधानसभा क्षेत्र में हटाए गए (5,678)।
कुल मिलाकर, SIR प्रक्रिया के पहले चरण में राज्यभर में 58 लाख से अधिक नाम मतदाता सूची से हटाए जा चुके हैं। चुनाव आयोग मंगलवार को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी करेगा, जिसके बाद आपत्तियों और दावों की प्रक्रिया शुरू होगी।
तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कृषाणु मित्रा ने कहा कि पार्टी डेटा की गहन समीक्षा करेगी और यदि किसी वास्तविक मतदाता का नाम गलत तरीके से हटाया गया है, तो पार्टी इसका लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करेगी। वहीं बीजेपी के मुख्य सचेतक शंकर घोष का कहना है कि यह आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि राज्य में SIR प्रक्रिया क्यों जरूरी थी और इससे फर्जी मतदाताओं की पहचान हुई।