Saturday, December 13

चीन-जापान संबंधों में नया तनाव: विशेषज्ञों ने बताया, जल्द समाधान की संभावना नहीं

टोक्यो: जापान की प्रधानमंत्री सनाए ताकाइची की ताइवान पर हालिया टिप्पणी के बाद चीन-जापान संबंध एक नए निम्न स्तर पर पहुंच गए हैं। बीजिंग ने जापान पर राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य दबाव बढ़ा दिया है, जिससे व्यापार और पर्यटन प्रभावित हो रहे हैं। इस बार तनाव का समाधान आसान नहीं दिख रहा है।

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तनाव की शुरुआत:
सात नवंबर को जापानी संसद में प्रधानमंत्री ताकाइची ने कहा कि ताइवान के खिलाफ चीन का सैन्य कदम जापानी हस्तक्षेप को जन्म देगा। उन्होंने इसे जापान के लिए अस्तित्व संबंधी खतरे के रूप में पेश किया और ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए जापान के सामूहिक आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया।

कूटनीतिक प्रतिक्रिया:
चीन ने ताकाइची से टिप्पणी वापस लेने और माफी मांगने की मांग की। जापानी प्रधानमंत्री के पीछे न हटने पर बीजिंग ने राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य दबाव का इस्तेमाल किया। इसमें जापानी समुद्री भोजन के आयात पर रोक, जापानी कलाकारों के कार्यक्रम रद्द करना और सेनकाकू/दियाओयू द्वीप क्षेत्र में नौसैनिक गतिविधियां शामिल हैं।

व्यापार और पर्यटन पर असर:
चीन और जापान प्रमुख व्यापारिक साझेदार हैं। इस वर्ष जापान में आने वाले पर्यटकों का पांचवां हिस्सा चीन से था। चीन द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का जापानी अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इतिहास में भी जापानी नीतिगत कदमों पर चीन ने आर्थिक और राजनीतिक दबाव का इस्तेमाल किया है।

विशेषज्ञों का विश्लेषण:
विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार तनाव का जल्द समाधान नहीं होगा। ताकाइची एक कट्टर रूढ़िवादी नेता हैं, जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की नीतियों को आगे बढ़ाया है। वहीं, राष्ट्रपति शी चिनफिंग के नेतृत्व वाला चीन आज पहले से कहीं अधिक शक्तिशाली है, और उसके पास व्यापारिक दबाव, सैन्य अभ्यास और अन्य उपायों के जरिए तनाव बढ़ाने के कई विकल्प मौजूद हैं।

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