
नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने तमिलनाडु में ISIS रेडिकलाइजेशन और भर्ती मामले में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की है। इस चार्जशीट में सात आरोपियों और एक रजिस्टर्ड सोसाइटी, कोवई अरबी एजुकेशनल एसोसिएशन (KAEA) के खिलाफ विभिन्न धाराओं में आरोप लगाए गए हैं। मामला अक्टूबर 2022 के कोयंबटूर कार बम विस्फोट की जांच से जुड़ा है।
मामले का पूरा विवरण:
जांच में सामने आया कि आईएसआईएस से प्रेरित कट्टरपंथी समूह मुफ्त अरबी कक्षाओं के बहाने युवाओं को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल करने की कोशिश कर रहा था। ये क्लासें जूम, व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आयोजित की जाती थीं। इस मामले में पहले चार आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी, जिसमें मद्रास अरबी कॉलेज के प्रिंसिपल जमील बाशा भी शामिल थे।
सप्लीमेंट्री चार्जशीट की मुख्य बातें:
- सप्लीमेंट्री चार्जशीट में जमील के छात्र और KAEA सोसाइटी को आरोपी बनाया गया है।
- आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) और गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम (UA(P) Act) की धाराओं के तहत कार्रवाई की गई है।
- सात आरोपियों की पहचान मोहम्मद हुसैन, इरशथ, अहमद अली, अबू हनीफा, जवाहर सादिक, शेख दाऊद और राजा मोहम्मद के रूप में हुई है।
पृष्ठभूमि:
एनआईए की चेन्नई शाखा ने यह मामला अगस्त 2023 में दर्ज किया था। जांच से पता चला कि कट्टरपंथी समूह युवाओं को मुफ्त अरबी भाषा की ऑनलाइन क्लासों के माध्यम से कट्टरपंथी उपदेश दे रहा था और उन्हें आतंकवादी गतिविधियों के लिए प्रेरित कर रहा था।
एनआईए का उद्देश्य:
एनआईए इस कट्टरता नेटवर्क को पूरी तरह खत्म करने के लिए जांच जारी रखे हुए है। एजेंसी का कहना है कि सभी आरोपी और संबंधित संस्थाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी, ताकि युवाओं को आतंकवाद से सुरक्षित रखा जा सके।
निष्कर्ष:
कोयंबटूर बम विस्फोट और इसके बाद के जांच मामलों ने देश में ऑनलाइन और ऑफलाइन कट्टरपंथ फैलाने वाले नेटवर्क के खिलाफ सतर्कता बढ़ाने की जरूरत को और स्पष्ट कर दिया है। एनआईए की कार्रवाई दर्शाती है कि एजेंसी युवाओं को आतंकवाद से दूर रखने के लिए लगातार काम कर रही है।