
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय ऊर्जा रणनीति में एक बड़ा कदम उठाते हुए SHANTI बिल को मंजूरी दे दी है। इस बिल का पूरा नाम है “Sustainable Harnessing and Advancement of Nuclear Energy for Transforming India”। अब इसके लागू होने से प्राइवेट कंपनियां भी देश में परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश और संचालन कर सकेंगी। यह भारत के 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में अहम कदम है।
SHANTI बिल के प्रमुख बिंदु
- सिविल लायबिलिटी कानून में बदलाव: बिल में बदलाव के बाद परमाणु ऊर्जा संयंत्र संचालकों को सुरक्षा और कानूनी राहत मिलेगी। उपकरण बनाने वाले सप्लायर्स की जिम्मेदारी स्पष्ट होगी।
- इंश्योरेंस कवरेज बढ़ी: अब प्रत्येक घटना पर ऑपरेटर इंश्योरेंस को 1,500 करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया गया है, जो इंडियन न्यूक्लियर इंश्योरेंस पूल के तहत कवर होगा।
- 49% तक विदेशी निवेश: बिल में प्राइवेट और विदेशी निवेश (FDI) के लिए छूट दी गई है, जिससे परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निवेश के लिए एक समान और पारदर्शी कानूनी ढांचा तैयार होगा।
- परमाणु ट्रिब्यूनल: प्राइवेट कंपनियों को संचालन की स्वतंत्रता देने के साथ-साथ विवाद समाधान के लिए विशेष परमाणु ट्रिब्यूनल का प्रावधान होगा।
- मुख्य गतिविधियां सरकार के नियंत्रण में: परमाणु सामग्री निर्माण, हैवी वॉटर उत्पादन और परमाणु कचरे का प्रबंधन जैसे संवेदनशील काम अभी भी परमाणु ऊर्जा विभाग के नियंत्रण में रहेंगे।
बिल की पृष्ठभूमि और महत्व
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी 2025 में बजट भाषण में इस बिल और ‘न्यूक्लियर एनर्जी मिशन’ का ऐलान किया था। इसके तहत छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs) पर 20,000 करोड़ रुपये का रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) फंड रखा गया है। सरकार की योजना है कि 2033 तक पांच स्वदेशी SMRs चालू किए जाएं।
अब तक, परमाणु ऊर्जा संयंत्र केवल NPCIL (Nuclear Power Corporation of India Limited) द्वारा संचालित होते थे। SHANTI बिल के लागू होने से प्राइवेट कंपनियों की भागीदारी बढ़ेगी, जो अगले दो दशक में देश की परमाणु क्षमता को दस गुना बढ़ाने में सहायक होगी।
विशेषज्ञों की राय
अनूजेश द्विवेदी (डेलॉइट इंडिया) ने कहा कि प्राइवेट कंपनियों के प्रवेश से टैरिफ निर्धारण में पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा आएगी। वर्तमान में टैरिफ परमाणु ऊर्जा विभाग तय करता है, जो केंद्रीय बिजली प्राधिकरण से सलाह लेता है। प्राइवेट कंपनियों के आने से स्वतंत्र रेगुलेटर की आवश्यकता भी बढ़ जाएगी।
निष्कर्ष:
SHANTI बिल न केवल परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को आधुनिक और निवेश के अनुकूल बनाएगा, बल्कि भारत के ऊर्जा सुरक्षा और 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा लक्ष्य को साकार करने में मील का पत्थर साबित होगा।