
नई दिल्ली: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की रेस में अमेरिका ने चीन को पछाड़ने के लिए एक बड़ा और अनोखा कदम उठाया है। अमेरिकी कंपनी एथरफ्लक्स अब अंतरिक्ष में AI डेटा सेंटर बनाने जा रही है। कंपनी ने इसे ‘गैलेक्टिक ब्रेन’ नाम दिया है।
अंतरिक्ष में डेटा सेंटर की खासियत
धरती पर AI को ट्रेन करने और चलाने के लिए बड़े-बड़े डेटा सेंटर बहुत ज्यादा बिजली खपत करते हैं। यह न केवल महंगा है बल्कि ठंडा करने में भी भारी बिजली लगती है। एथरफ्लक्स ने बताया कि अंतरिक्ष में ठंड और सूर्य की रोशनी का इस्तेमाल कर डेटा सेंटर को लगातार ठंडा और बिजली प्रदान किया जा सकेगा, यानी आम के आम और गुठलियों के भी दाम।
कंपनी 2026 में अपना पहला सोलर सैटेलाइट लॉन्च करेगी और 2027 के शुरुआती तीन महीनों में ‘गैलेक्टिक ब्रेन’ का पहला डेटा सेंटर अंतरिक्ष में भेजेगी। ये सैटेलाइट धरती की ऑर्बिट में रहेंगे और इंफ्रारेड लेजर के माध्यम से बिजली धरती पर भेजी जाएगी।
AI के लिए बिजली की भूख
एथरफ्लक्स के फाउंडर और सीईओ बैजू भट्ट के अनुसार, AI रेस असल में कंप्यूटिंग पावर और बिजली की रेस है। धरती पर डेटा सेंटर की जगह, बिजली और ठंड की लिमिट है, लेकिन अंतरिक्ष में ये सीमाएं खत्म हो जाएंगी। रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक AI की वजह से बिजली की खपत 165% तक बढ़ सकती है।
अमेरिकी कंपनियों ने पकड़ी रफ्तार
एथरफ्लक्स अकेली कंपनी नहीं है। गूगल के पूर्व CEO एरिक श्मिट ने भी अंतरिक्ष में डेटा सेंटर बनाने की तैयारी की है। वहीं एलन मस्क की स्पेसएक्स स्टारलिंक सैटेलाइट के माध्यम से अंतरिक्ष डेटा सेंटर बनाने की योजना पर काम कर रही है।
चीन से मुकाबला
बैजू भट्ट का कहना है कि चीन अंतरिक्ष में सोलर एनर्जी को गंभीरता से ले रहा है। अगर अमेरिका ने अब निवेश नहीं किया, तो ऊर्जा और अंतरिक्ष में नेतृत्व चीन के हाथ चला जाएगा। इस दिशा में एथरफ्लक्स की पहल अमेरिका को AI रेस में आगे रखने में मदद करेगी।
निष्कर्ष:
अंतरिक्ष में डेटा सेंटर और सोलर एनर्जी का इस्तेमाल करके अमेरिका AI की रेस में चीन से आगे निकलने की तैयारी कर रहा है। यह पहल भविष्य की तकनीक और ऊर्जा प्रबंधन में क्रांति ला सकती है।