
नई दिल्ली, 12 दिसंबर 2025: माओवादियों के खिलाफ सुरक्षा बलों ने इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद जैसा ऑपरेशन चलाकर बड़ा कामयाब एक्शन लिया। नक्सलियों के इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन उपकरणों में गुप्त रूप से ट्रैकर लगाए गए, जिससे उनके छुपे हुए ऑपरेशन्स और अंतरराष्ट्रीय संपर्कों का खुलासा हुआ।
हाल ही में सरेंडर करने वाले माओवादी नेताओं तक्लपल्ली वासुदेवा राव (अशन्ना) और मल्लोजुला वेणुगोपाल (सोनू) से पूछताछ में यह जानकारी सामने आई। सुरक्षा एजेंसियों ने वॉकी-टॉकी, लैपटॉप, मोबाइल, रेडियो और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स में छिपे ट्रैकर्स का पता लगाया। इसके कारण संगठन के कई गुप्त मिशन और वरिष्ठ नेता की गतिविधियों का पता चल पाया।
ड्रोन और जासूसी की कोशिशें
पूछताछ में पता चला कि माओवादी ड्रोन का इस्तेमाल सुरक्षा बलों पर हमले और जासूसी के लिए करना चाहते थे, लेकिन बड़े पैमाने पर ड्रोन ऑपरेशन के लिए जरूरी उपकरण जुटा नहीं पाए। मारे गए कमांडर मदावी हिडमा और अशन्ना ने ड्रोन टेस्ट किए थे, जिससे संगठन की तकनीकी क्षमताओं का भी खुलासा हुआ।
अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन
अशन्ना और सोनू ने बताया कि पार्टी ने फिलीपींस, तुर्की, पेरू और नेपाल के माओवादी समूहों के साथ आइडियोलॉजिकल संबंध बनाए रखे थे। सोनू ने यह भी कहा कि चीन, नेपाल और जम्मू-कश्मीर में कोई ऑपरेशनल लिंक नहीं था, केवल फिलीपींस की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ सॉलिडैरिटी कनेक्शन था।
सुरक्षा बलों की रणनीति
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि स्पेशल जोनल कमेटी के सदस्य वार्ता शेखर और उनकी टीम ट्रैकर्स की पहचान में माहिर हो गई थी। माओवादी सीक्रेसी बनाए रखने के लिए प्रोटॉन मेल जैसी एन्क्रिप्टेड ईमेल सेवाओं का ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा था।
सुरक्षा बलों की इस मोसाद जैसी रणनीति ने नक्सलियों के नेटवर्क को कमजोर किया और उनके कई गुप्त मिशनों का पर्दाफाश किया। इससे माओवादी संगठन के आंतरिक कामकाज और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर भी बड़ा खुलासा हुआ।