Thursday, December 11

यूनेस्को ने दीपावली को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर में शामिल किया: भारत की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक मंच पर नया सम्मान

लखनऊ: भारत के सबसे बड़े और प्राचीन पर्व दीपावली को यूनेस्को (UNESCO) ने अपनी अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की वैश्विक सूची में शामिल किया है। इस ऐतिहासिक निर्णय ने भारत की सांस्कृतिक पहचान को विश्व स्तर पर और मजबूत किया है।

This slideshow requires JavaScript.

अयोध्या के महंत और राजनेताओं की प्रतिक्रियाएँ:

  • अयोध्या हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने कहा कि अयोध्या से शुरू हुई दीपावली आज विश्व पटल पर अपनी जगह बना रही है। उन्होंने पीएम मोदी और सीएम योगी के अयोध्या को वैश्विक पहचान दिलाने के प्रयासों की सराहना की। महंत राजू दास ने बताया कि अयोध्या में एक लाख दीपों से शुरुआत कर 26 लाख से अधिक दीप जलाए गए, और अब यूनेस्को ने इसे अपनी धरोहर सूची में शामिल कर इस पर्व को वैश्विक मान्यता दी।
  • सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसे गर्व का पल बताया और कहा कि दीपावली सिर्फ त्योहार नहीं, बल्कि अंधकार पर प्रकाश की विजय और नए आरंभ का प्रतीक है। सीएम ने कहा कि यूनेस्को का यह सम्मान भारत की सांस्कृतिक शक्ति और परंपरा की महत्ता को दुनिया के सामने स्थापित करता है। उन्होंने अयोध्या के आध्यात्मिक महत्व पर भी जोर दिया।
  • बीजेपी नेता और राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अपर्णा यादव ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने वैश्विक मंच पर जो पहचान बनाई है, दीपावली को यूनेस्को सूची में शामिल करना उसी का प्रमाण है। उन्होंने सभी भारतीयों को बधाई दी और कहा कि यह मान्यता भारत की सांस्कृतिक विरासत को दुनिया भर में नई पहचान देती है।
  • कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि दीपावली का पर्व पूरी दुनिया में मनाया जाए।
  • मौलाना नाजिम अशरफी ने भी इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि भारतवर्ष में रहने वाले सभी लोग दीपावली को बड़े सम्मान के साथ मानते हैं और इसे मनाने में कोई रोक-टोक नहीं होनी चाहिए।

विशेष महत्व:
यूनेस्को की इस वैश्विक मान्यता से न केवल दीपावली का महत्व बढ़ा है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत, आध्यात्मिकता और विविधता को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है। यह पर्व अब न केवल देश में बल्कि पूरी दुनिया में भारत की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक बनेगा।

Leave a Reply