
राजस्थान की प्रसिद्ध लोक कला कालबेलिया नृत्य ने प्रवासी राजस्थानी दिवस के कार्यक्रम में अपनी अद्भुत प्रस्तुति से सभी का मन मोह लिया। इस नृत्य की विशेष मुद्राएं, सांप जैसी चाल और आकर्षक वेशभूषा लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं।
क्या है कालबेलिया नृत्य
कालबेलिया नृत्य का संबंध राजस्थान की कालबेलिया जनजाति से है, जो पारंपरिक रूप से सांप पकड़ने वाले समुदाय से जुड़ी रही है। नृत्य की मुद्राएं सांप की चाल की तरह होती हैं और वेशभूषा सांप की त्वचा जैसी प्रभावशाली दिखती है। यही वजह है कि इसे सांपों को नियंत्रित करने वाला नृत्य भी कहा जाता है।
महिलाएं घाघरे और कढ़ाई वाले कपड़े पहनकर नृत्य करती हैं, जबकि पुरुष पारंपरिक वाद्य यंत्रों पर संगीत बजाते हैं। यह कला प्रसिद्ध कलाकार पद्मश्री गुलाबो सपेरा द्वारा विश्व स्तर पर पहचान बना चुकी है। वर्ष 2010 में इसे यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल किया गया, जो राजस्थान के लिए गौरव की बात है।
प्रवासी राजस्थान कार्यक्रम में बिखरी धूम
राजधानी जयपुर के जेईसीसी में आयोजित प्रवासी राजस्थानी समिट में बुधवार शाम कालबेलिया नृत्य ने समारोह में सभी की आंखें और दिलों पर राज किया। पद्मश्री गुलाबो सपेरा और उनकी टीम की प्रस्तुति को देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और अन्य गणमान्य मंत्रीगण उपस्थित थे।
कार्यक्रम के माध्यम से न केवल राजस्थानी संस्कृति को प्रदर्शित किया गया, बल्कि यह भी दिखाया गया कि राजस्थान की लोक कला और परंपरा विश्व स्तर पर कितनी विशिष्ट और प्रभावशाली है।