
रायपुर/मैसूर। भारत के प्राचीन राजघराने अपनी विरासत और गौरवशाली इतिहास के लिए पहचाने जाते हैं, लेकिन मैसूर का वाडियार राजवंश पिछले चार सदियों से एक रहस्यमय श्राप के साए में जी रहा था। लोककथाओं के अनुसार, रानी अलमेलम्मा द्वारा 1612 में दिया गया श्राप इस वंश में जन्मजात उत्तराधिकारियों का जन्म रोक देता था। परंपरागत रूप से, इस श्राप के चलते वाडियार राजवंश ने कई पीढ़ियों तक दत्तक उत्तराधिकारियों से शासन चलाया।
लेकिन वर्ष 2017 में इतिहास ने करवट ली—और इस बदलाव की वजह बनीं राजकुमारी त्रिशिका कुमारी वाडियार।
आद्यवीर का जन्म—श्राप टूटने का संकेत!
वाडियार राजवंश के 27वें मुखिया यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार और राजकुमारी त्रिशिका के पहले पुत्र आद्यवीर नरसिंहराजा वाडियार के जन्म ने पूरे मैसूर में उत्साह की लहर दौड़ा दी। छह दशकों बाद पैदा हुआ यह जन्मजात उत्तराधिकारी स्थानीय मान्यताओं के अनुसार 400 साल पुराने श्राप से मुक्ति का प्रतीक माना गया।
लोकविश्वासों के मुताबिक, यह ऐसा क्षण था जिसे राजमहल ही नहीं, पूरे कर्नाटक ने एक दिव्य संकेत के रूप में देखा।
2024 में दूसरे वारिस का जन्म—खुशी दोगुनी
राजवंश में खुशियों का दौर यहीं नहीं थमा। 2024 में त्रिशिका और यदुवीर ने अपने दूसरे पुत्र युगाध्यक्ष कृष्णराज वाडियार का स्वागत किया, जिसे घराने और आम जनता ने “परंपरा की पुनर्स्थापना” के रूप में देखा। चर्चा में यह भी रहा कि क्या अब वाडियार वंश वास्तव में श्राप से मुक्त हो चुका है।
कहां से आया यह श्राप?—1612 की कहानी
लोककथाओं के अनुसार:
- शृंगेरी/विजयनगर के राजा की विधवा रानी अलमेलम्मा
- मैसूर द्वारा श्रीरंगपट्टनम पर कब्जे के बाद
- अपने आभूषण कावेरी में बहाकर आत्महत्या कर ली
- और जाते-जाते वाडियारों को श्राप दिया:
“तलाकाडु रेत में बदल जाए, मलंगी भंवर बन जाए और वाडियारों को कभी संतान न हो।”
कथाओं में आश्चर्य की बात यह है कि तीनों भविष्यवाणियां किसी न किसी रूप में सच मानी गईं।
दत्तक उत्तराधिकारियों ने चलाया शासन
श्राप के चलते वाडियार राजवंश में सदियों तक दत्तक उत्तराधिकारी ही गद्दी संभालते रहे।
वर्तमान राजा यदुवीर स्वयं प्रमोदा देवी वाडियार द्वारा दत्तक लिए गए थे। यही कारण है कि कई लोग आज भी बहस कर रहे हैं कि—
क्या श्राप वाकई टूटा है या यह सिर्फ़ एक संयोग है?
कौन हैं राजकुमारी त्रिशिका?
राजकुमारी त्रिशिका कुमारी, मैसूर की महारानी होने के साथ-साथ राजस्थान के डूंगरपुर राजघराने से ताल्लुक रखती हैं।
- उनके पिता: हर्षवर्धन सिंह
- माता: महेशरी कुमारी
- शिक्षा: बाल्डविन्स गर्ल्स स्कूल और ज्योति निवास कॉलेज, बेंगलुरु
उनकी और यदुवीर की शादी 2016 में भव्य मैसूर पैलेस में हुई थी, जिसे आधुनिक युग की शाही शादियों में एक ऐतिहासिक घटना माना जाता है।
भारत के सबसे धनी राजघरानों में से एक
वाडियार राजवंश भारतीय इतिहास के सबसे समृद्ध राजघरानों में गिना जाता है।
- अनुमानित संपत्ति: करीब 80,000 करोड़ रुपये
- यदुवीर को मात्र 23 वर्ष की उम्र में राजगद्दी पर बैठाया गया था।
क्या वाकई श्राप समाप्त हो गया?
राजकुमार आद्यवीर और कृष्णराज के जन्म ने निश्चित ही राजमहल में उत्सव का माहौल पैदा किया है।
लेकिन इतिहासकारों और स्थानीय लोगों के बीच आज भी यह बहस जारी है—
क्या यह श्राप टूटने का चमत्कार है, या सिर्फ़ एक संयोग जिसने इतिहास की नई कहानी गढ़ दी?
