
तमिलनाडु में कार्तिगई दीपम महोत्सव को लेकर जोरदार विवाद खड़ा हो गया है। इस मामले में स्टालिन सरकार सुप्रीम कोर्ट में है, जबकि भाजपा और दक्षिणपंथी समर्थक चोटी पर दीप जलाने की अनुमति न मिलने पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। शुक्रवार को CJI सूर्यकांत और जस्टिस जे बागची की पीठ ने राज्य सरकार की दलीलों पर गौर करते हुए याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने का आदेश दिया।
क्या है कार्तिगई दीपम महोत्सव
कार्तिगई दीपम तमिलनाडु का प्रसिद्ध दक्षिण भारतीय प्रकाश पर्व है, जो भगवान मुरुगन को समर्पित है। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय, समृद्धि के आह्वान और बुरी आत्माओं को दूर भगाने के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। पर्व में मिट्टी के दीपों की कतारें जलाई जाती हैं और विशेष पूजा की जाती है।
महादीपम का महत्व
इस महोत्सव का आकर्षण है अरुणाचलम पहाड़ी के पास अन्नामलाई चोटी पर जलाया जाने वाला विशाल दीपक, जिसे महादीपम कहा जाता है। यह कई किलोमीटर दूर से दिखाई देता है और भगवान शिव के अग्नि स्तंभ के रूप में माना जाता है।
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट का निर्णय
- 2014 में मद्रास हाईकोर्ट ने दीपाथुन पर दीपक जलाने पर रोक लगाई थी।
- हाल ही में दायर याचिका में उच्च न्यायालय ने पहाड़ी की चोटी पर दीपम जलाने की अनुमति दी और मंदिर प्रशासन को व्यवस्था करने को कहा।
- राज्य सरकार की अपील खारिज कर दी गई।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ
- भाजपा और दक्षिणपंथी समूहों ने इसे ऐतिहासिक आदेश बताया और विरोध प्रदर्शन किया।
- राज्य भाजपा प्रमुख नैनार नागेंद्रन ने कहा कि स्टालिन सरकार आदेश का पालन नहीं कर रही और हिंदू आस्था के खिलाफ है।
- डीएमके सरकार का कहना है कि वे कानून का सम्मान करती हैं और कार्रवाई 2014 के हाईकोर्ट फैसले के आधार पर की गई है।
यह विवाद धार्मिक आस्था और कानून के टकराव का प्रतीक बन गया है और अगले विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक हलचल बढ़ा रहा है।