
रांची। झारखंड में सक्रिय कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू गिरोह को लेकर पुलिस और एटीएस की जांच में ऐसे तथ्य सामने आए हैं जिन्होंने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। एटीएस द्वारा दायर चार्जशीट में खुलासा हुआ है कि गैंग का नंबर-2 सदस्य सुनील मीणा उर्फ मयंक सिंह न केवल झारखंड बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैले हथियार तस्करी नेटवर्क को संचालित कर रहा था।
अजरबैजान से प्रत्यर्पित किए गए मयंक सिंह ने पूछताछ में कई चौंकाने वाले राज खोले हैं।
पाकिस्तान से ड्रोन के माध्यम से आए 13 ग्लॉक पिस्तौल
जांच में सामने आया कि अमन साहू गिरोह ने पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए एक खेप में 13 ग्लॉक पिस्टल मंगवाए थे। यह हथियार अत्याधुनिक और प्रतिबंधित श्रेणी में आते हैं, जिनका आम नागरिकों के लिए उपयोग पूरी तरह अवैध है।
अब तक पुलिस 6 पिस्तौल बरामद कर चुकी है, जबकि 7 हथियार अभी भी अपराधियों के कब्जे में होने की आशंका है। बरामदगी रांची, लातेहार, पलामू और अन्य क्षेत्रों से हुई है।
हवाला के जरिए पाकिस्तान तक पहुंचा पेमेंट
एटीएस की जांच के अनुसार, पाकिस्तान से सप्लाई होने वाले हथियारों के बदले भुगतान हवाला नेटवर्क के माध्यम से यूरोप होते हुए मलेशिया और थाईलैंड के जरिए पाकिस्तान पहुंचता था।
पुलिस को पता चला कि पंजाब के कुछ तस्कर इस हथियार खेप को सड़क मार्ग से झारखंड तक पहुंचाते थे।
लॉरेंस बिश्नोई गैंग तक पहुंचा था नेटवर्क
पूछताछ में मयंक सिंह ने स्वीकार किया कि वह अमन साहू ही नहीं, बल्कि लॉरेंस बिश्नोई गैंग को भी हथियार सप्लाई कराता था। वह विदेश में बैठकर इन दोनों गैंगों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नेटवर्क चला रहा था।
एटीएस की चार्जशीट में यह भी दर्ज है कि मयंक सिंह ने पूर्व में एटीएस डीएसपी पर फायरिंग कराने की साजिश रची थी। इस घटना के बाद उसने सोशल मीडिया पर डीएसपी को गोली मारने की खबर साझा करते हुए लिखा था—
“हमारा कद पुलिस से ऊंचा।”
अजरबैजान से गिरफ्तारी, इंटरपोल ने जारी किया था नोटिस
मयंक सिंह की बढ़ती गतिविधियों के बाद भारत ने उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवाया था।
अक्टूबर 2024 में उसे अजरबैजान में गिरफ्तार किया गया और इसके बाद झारखंड पुलिस उसे भारत लाई। पूछताछ के दौरान उसके अंतरराष्ट्रीय तस्करी रैकेट के कई परत दर परत खुलते चले गए।
कोयला कारोबारी पर हुई फायरिंग में भी इस्तेमाल हुई थी यही खेप
एटीएस ने पुष्टि की है कि रांची के कोयला कारोबारी विपिन मिश्रा पर फायरिंग में भी इसी पाकिस्तानी कंसाइनमेंट की ग्लॉक पिस्टलों का उपयोग किया गया था। उस मामले में प्रयुक्त दोनों हथियार पुलिस ने बरामद कर लिए थे।
जांच एजेंसियां अब इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की पहचान करने में जुटी हैं।
झारखंड में सक्रिय गिरोहों के पाकिस्तान, यूरोप और दक्षिण-पूर्व एशिया तक फैले नेटवर्क का यह खुलासा सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ा चुनौतीपूर्ण संकेत है।