
नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत हंगामे के बीच हुई, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष को चेतावनी दी कि सदन में “ड्रामा नहीं, डिलीवरी होनी चाहिए”। इस बयान पर कांग्रेस नेता और वायनाड सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने पलटवार किया है।
प्रियंका गांधी ने कहा, “मुद्दों पर बोलना और उन्हें उठाना ड्रामा नहीं है। ड्रामा का मतलब है चर्चा न होने देना। चुनावी स्थिति, SIR और प्रदूषण जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा करना संसद का मूल उद्देश्य है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि संसद परिसर में ड्रामा करने की जगह बाहर है, लेकिन सदन में हंगामे की कोई जगह नहीं। उन्होंने विपक्ष से अपील की कि सत्र को सुचारू और गरिमामय तरीके से चलाने में सहयोग दें।
इस पर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री का संसद सत्र की शुरुआत से पहले बयान देना केवल पाखंड है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री अक्सर संसद में उपस्थित नहीं होते और विपक्ष से संवाद नहीं करते, फिर भी सत्र से पहले वे संसद भवन के बाहर भाषण देते हैं।
जयराम रमेश ने आगे कहा, “अगर संसद सुचारु रूप से नहीं चलती, तो दोष पूरी तरह प्रधानमंत्री का है। उन्होंने विपक्ष को अपने विचार रखने का पर्याप्त मौका नहीं दिया। सबसे बड़े ‘ड्रामेबाज’ ही ‘ड्रामे’ की बातें कर रहे हैं।”
सत्र की शुरुआत में हंगामा लगातार बढ़ता गया, जिसके कारण लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 12 बजे और फिर दो बजे तक स्थगित कर दी गई। विपक्ष का कहना है कि मुद्दों पर गंभीर चर्चा ही लोकतंत्र का सही स्वरूप है, जबकि सत्ता पक्ष इसे राजनीतिक रंगमंच में बदलने का आरोप लगाता रहा।