
बठिंडा (पंजाब)। संवाददाता।
बॉलीवुड अभिनेत्री और बीजेपी सांसद कंगना रनौत पर पंजाब की बुजुर्ग महिला किसान मोहिंदर कौर द्वारा दायर मानहानि के मामले में एक बार फिर सुर्खियां बन रही हैं।
चार साल पुराने इस केस में भले ही कंगना ने अदालत में माफी मांग ली हो, लेकिन 78 वर्षीय मोहिंदर कौर ने साफ कह दिया —
“मैंने अपने सम्मान की लड़ाई लड़ी है, अब पीछे नहीं हटूंगी।”
किसान आंदोलन से जुड़ा है मामला
यह मामला वर्ष 2020-21 के किसान आंदोलन से जुड़ा है। उस समय कंगना रनौत ने सोशल मीडिया पर एक विवादित पोस्ट साझा किया था, जिसमें उन्होंने किसानों के प्रदर्शन की एक तस्वीर पोस्ट की और दावा किया था कि “यह महिलाएं पैसे लेकर आंदोलन में शामिल हो रही हैं।”
कंगना ने ट्वीट में जिस महिला की तस्वीर साझा की थी, उन्हें उन्होंने गलती से ‘शाहीन बाग की दादी बिल्किस बानो’ बताया और लिखा था कि “वह 100 रुपये में उपलब्ध हैं।”
बाद में यह स्पष्ट हुआ कि तस्वीर में दिखाई गई महिला दरअसल पंजाब की किसान मोहिंदर कौर थीं।
इस टिप्पणी से आहत होकर मोहिंदर कौर ने कंगना रनौत के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज करवाया।
78 वर्षीय महिला किसान — जिनके हौसले ने सबको प्रेरित किया
मोहिंदर कौर पंजाब के बठिंडा जिले के बहादुरगढ़ जंडियां गांव की रहने वाली हैं।
उनकी उम्र 78 वर्ष है और वे एक साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं।
कौर के पास करीब 13 एकड़ जमीन है और वे खेतीबाड़ी करती हैं।
उनके पति लाभ सिंह (80 वर्ष) बीमार हैं और अधिकतर समय बिस्तर पर रहते हैं।
उनका बेटा गुरदास भी पिछले कुछ महीनों से गंभीर संक्रमण के कारण बिस्तर पर है।
परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद मोहिंदर कौर ने अपनी गरिमा की रक्षा के लिए चार साल तक कानूनी लड़ाई जारी रखी।
कंगना की माफी — लेकिन मोहिंदर कौर ने कहा “माफ नहीं करूंगी”
करीब चार साल की कानूनी जंग के बाद कंगना रनौत ने अदालत में कहा कि उन्हें अपनी गलती का अहसास है और उन्होंने माफी मांग ली।
अदालत ने कंगना को जमानत पर रिहा कर दिया और अगली सुनवाई की तारीख 24 नवंबर तय की।
लेकिन जब मोहिंदर कौर से इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने दृढ़ता से कहा —
“मैंने यह लड़ाई अपने सम्मान के लिए लड़ी है, किसी प्रसिद्धि के लिए नहीं।
उन्होंने जो कहा, उससे मेरे मान-सम्मान को ठेस पहुंची।
अब मैं पीछे नहीं हटूंगी।”
सम्मान की प्रतीक बन गईं मोहिंदर कौर
कंगना रनौत जैसे प्रभावशाली व्यक्ति के खिलाफ एक बुजुर्ग महिला किसान का डटकर खड़ा होना पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है।
मोहिंदर कौर आज ग्रामीण भारत की उस सशक्त महिला की प्रतीक बन चुकी हैं, जो अपने आत्मसम्मान के लिए किसी भी हद तक जाने से पीछे नहीं हटती।
🕊️ चार साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद भी मोहिंदर कौर का साहस यह दिखाता है कि सम्मान की रक्षा उम्र या शक्ति पर नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और सच्चाई पर निर्भर करती है।