
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के दिग्गज नेता मुकुल रॉय को कलकत्ता हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने दलबदल विरोधी कानून के तहत मुकुल रॉय की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी है। मुकुल रॉय 2021 में बीजेपी के टिकट पर कृष्णानगर उत्तर सीट से जीते थे, लेकिन बाद में टीएमसी में शामिल हो गए, जिसके चलते उनकी सदस्यता विवाद में फंस गई थी।
तीसरी बार कृष्णानगर उत्तर से जीत
71 वर्षीय मुकुल रॉय इस क्षेत्र से लगातार तीसरी बार चुने गए थे। उनकी विधानसभा जीत की कहानी इस प्रकार है:
- 2011: पहली बार टीएमसी के टिकट पर जीते।
- 2016: फिर टीएमसी से जीत हासिल की।
- 2021: बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीता, लेकिन बाद में टीएमसी में शामिल हो गए।
मुकुल रॉय ने 2021 में बीजेपी की उम्मीदवार कौशानी मुखर्जी को हराया था। टीएमसी में शामिल होने के बाद वह दलबदल कानून के दायरे में आ गए।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
मुकुल रॉय नादिया जिले के कृष्णानगर उत्तर विधानसभा क्षेत्र से आते हैं। उन्होंने राजनीति की शुरुआत कांग्रेस से की थी और युवाओं के बीच यूथ कांग्रेस लीडर के रूप में उभरे। बाद में वे टीएमसी में शामिल हुए और ममता बनर्जी के करीबी नेता माने जाते रहे हैं। उन्होंने केंद्र में रेल राज्य मंत्री के पद पर भी काम किया।
अब क्या होगा
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव मार्च में प्रस्तावित हैं। मुकुल रॉय की सीट पर अब सीधा विधानसभा चुनाव ही होगा, कोई उप चुनाव नहीं होगा। इससे टीएमसी और बीजेपी दोनों ही पार्टियों के लिए राजनीतिक चुनौती बढ़ गई है।
सारांश:
कलकत्ता हाईकोर्ट ने दलबदल कानून के तहत मुकुल रॉय की सदस्यता रद्द कर दी है। 2021 में बीजेपी से जीतकर टीएमसी में शामिल हुए रॉय अब अपने निर्वाचन क्षेत्र में नए चुनाव का सामना करेंगे, जिससे पश्चिम बंगाल की राजनीतिक समीकरणों में हलचल बढ़ने की संभावना है।