पुतिन के दौरे पर टिकी पूरी दुनिया की नजरें, भारत के सामने बड़ी कूटनीतिक चुनौती — आज सबसे अहम दिन
नई दिल्ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का चार साल बाद हुआ भारत दौरा वैश्विक राजनीति के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। रूस–यूक्रेन युद्ध के बीच आए पुतिन के इस दौरे को लेकर पश्चिमी देशों में खासा असहज माहौल है। जर्मनी के एंबेसडर फिलिप एकरमैन सहित कई यूरोपीय राजनयिकों ने खुलकर कहा है कि वे इस यात्रा पर नज़र बनाए हुए हैं।
यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का सफर, संदेश क्या है?
रूस के जानकार मानते हैं कि यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद पुतिन ने विदेश यात्राओं में काफी सावधानी बरती है। पिछले वर्षों में वे केवल कुछ चुनिंदा देशों—किर्गिस्तान, कज़ाकिस्तान, ईरान, सऊदी अरब, मंगोलिया और चीन—तक सीमित रहे।
ऐसे में भारत आने का फैसला दुनिया को यह संदेश देता है कि रूस अभी भी अपने पारंपरिक साझेदार भारत को उच्च प्राथमिकता देता है और वह एशिया में अपनी कूटनीतिक उपस्थिति मजबूत रखना चाहता है।
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