अवमानना की शक्ति आलोचकों को चुप कराने की तलवार नहीं, सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना के मामलों में दया और न्यायिक विवेक की अहमियत पर जोर देते हुए कहा है कि यह शक्ति आलोचकों को डराने या चुप कराने के लिए नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस सिद्धांत के तहत बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें एक महिला को न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के कारण एक हफ्ते की जेल की सजा सुनाई गई थी।
पूरा मामला:यह घटना नवी मुंबई स्थित सीवुड्स एस्टेट्स लिमिटेड की पूर्व निदेशक से जुड़ी है। महिला ने न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करते हुए सर्कुलर जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिला ने अपनी गलती स्वीकार की और बिना शर्त माफी मांगी, इसलिए उसे बरी किया जाना चाहिए था। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने स्पष्ट किया कि सजा देने की शक्ति के साथ ही माफ करने की ताकत भी अदालतों के पास होती है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कह...









