
बस्तर। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले से मानवाधिकारों को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। एक आठ साल की बच्ची को उसके ही फॉस्टर परिवार ने ‘सुरक्षा’ के नाम पर कमरे में कैद कर दिया और यह कैद 20 साल तक चलती रही। अब जब लड़की 20 वर्ष की हो चुकी है, उसे समाज कल्याण विभाग ने मुक्त कराया है। लंबे समय तक अंधेरे में रहने के कारण उसकी आंखों की रोशनी लगभग खत्म हो चुकी है, साथ ही वह चलना-फिरना और सामान्य प्रतिक्रिया देना भी भूल चुकी है।
धूप और खुली हवा से दूर रही पूरी जिंदगी
जगदलपुर के पास कोरचुली स्थित घरौंदा आश्रम में फिलहाल युवती की देखभाल की जा रही है। आश्रम की सिस्टर क्लेरेलिस्ट के अनुसार, लड़की का मानसिक और शारीरिक विकास गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है। बाहर की दुनिया से कटे रहने और रोशनी से वंचित रहने के कारण उसकी आंखों की रोशनी लौटने की संभावना बेहद कम है। नाम पुकारने पर वह मुश्किल से प्रतिक्रिया दे पाती है।
कैद की वजह—‘छेड़छाड़ का डर’
समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों को मिली जानकारी के अनुसार, फॉस्टर परिवार का दावा है