
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में तेजी से हो रहे विस्तार के बीच टेक दिग्गज गूगल अब अंतरिक्ष में कदम बढ़ाने की तैयारी में है। कंपनी 2027 तक अपना पहला प्रायोगिक डेटा सेंटर अंतरिक्ष में भेजने की योजना बना रही है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना का नाम है—प्रोजेक्ट ‘सनबाथर’। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने एक इंटरव्यू में बताया कि यह प्रोजेक्ट मशीन लर्निंग और ऊर्जा उपयोग के भविष्य को नई दिशा देगा।
क्या है प्रोजेक्ट ‘सनबाथर’?
प्रोजेक्ट ‘सनबाथर’ का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में ऐसे डेटा सेंटर स्थापित करना है, जो सीधे सूर्य की रोशनी से ऊर्जा लेकर काम करेंगे।
- गूगल के मुताबिक, शुरुआत में छोटी-छोटी मशीनें सैटेलाइट के माध्यम से भेजकर परीक्षण किया जाएगा।
- अगर प्रयोग सफल रहा, तो अगले 10 वर्षों में अंतरिक्ष में डेटा सेंटर आम दृश्य होंगे।
सुंदर पिचाई का कहना है कि यह पहल न सिर्फ तकनीक को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी, बल्कि पृथ्वी के संसाधनों पर पड़ने वाले भार को भी कम करेगी।
टीपीयू चिप क्या है, जो स्पेस में जाएगी?
इस प्रोजेक्ट के तहत गूगल अपनी टीपीयू (Tensor Processing Unit) चिप्स को अंतरिक्ष में भेजेगा।
- ये वही चिप्स हैं जो गूगल सर्च, मैप्स और फोटोज जैसी सेवाओं में तेज प्रोसेसिंग के लिए उपयोग होती हैं।
- टीपीयू का पहला संस्करण 2015 में लॉन्च हुआ था और अब तक इसके 4 वर्जन जारी हो चुके हैं।
अंतरिक्ष में मौजूद डेटा सेंटर इन उन्नत चिप्स से लैस होंगे, जिससे मशीन लर्निंग और एआई प्रोसेसिंग कई गुना तेज हो सकेगी।
अंतरिक्ष में डेटा सेंटर बनाने के फायदे
पृथ्वी पर चल रहे डेटा सेंटर भारी मात्रा में—
- बिजली,
- पानी
- और कूलिंग सिस्टम का उपयोग करते हैं।
इनसे ग्रीनहाउस गैसें भी निकलती हैं और बड़ा इलेक्ट्रॉनिक कचरा तैयार होता है।
प्रोजेक्ट ‘सनबाथर’—
- पृथ्वी पर इन पर्यावरणीय समस्याओं को कम करेगा,
- और अंतरिक्ष में मौजूद डेटा सेंटर सौर ऊर्जा का सीधा उपयोग करके अधिक टिकाऊ विकल्प साबित होंगे।
सुंदर पिचाई ने क्या कहा?
गूगल सीईओ सुंदर पिचाई ने अपने इंटरव्यू में एक बड़ा विज़न साझा किया। उन्होंने कहा—
“हमारा सपना है कि एक दिन हम अंतरिक्ष में डेटा सेंटर बना सकें, ताकि सूर्य की असीम ऊर्जा का बेहतर उपयोग कर सकें। सूर्य की ऊर्जा पृथ्वी पर उपलब्ध हमारी कुल ऊर्जा से खरबों गुना अधिक है।”
क्यों है यह प्रोजेक्ट भविष्य के लिए महत्वपूर्ण?
- एआई और मशीन लर्निंग की बढ़ती जरूरत
- पृथ्वी पर संसाधनों का सीमित हो जाना
- पर्यावरण संरक्षण की चुनौती
- और ऊर्जा का बढ़ता संकट
इन सभी मुद्दों के समाधान की दिशा में ‘सनबाथर’ एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है।