
नई दिल्ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज दो दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंच रहे हैं। गुरुवार शाम करीब 6:30 बजे उनका विमान दिल्ली में लैंड करेगा। इस दौरे को लेकर केंद्र सरकार की ओर से व्यापक तैयारी की गई है। दौरे की सबसे अहम कड़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच होने वाली वन-टू-वन शिखर बैठक और इसके बाद होने वाला स्पेशल डिनर है।
यह मुलाकात भारत–रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन का हिस्सा है, जिसमें दोनों देश 10 इंटर-गवर्नमेंटल समझौते और 15 कमर्शियल डील पर हस्ताक्षर करेंगे। इन समझौतों से रणनीतिक साझेदारी के कई क्षेत्रों में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
पीएम मोदी देंगे स्पेशल डिनर, अहम मुद्दों पर गहन चर्चा
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आयोजित विशेष रात्रिभोज में दोनों नेता कई अहम विषयों पर सीधे तौर पर चर्चा करेंगे। प्रमुख मुद्दे होंगे—
- रक्षा सहयोग और तकनीकी साझेदारी
- यूरेशिया में स्थिरता
- यूक्रेन संघर्ष से जुड़े कूटनीतिक पहलू
- वित्तीय और निवेश संबंध मजबूत करने पर बातचीत
पिछले वर्ष प्रधानमंत्री मोदी के मॉस्को दौरे के दौरान भी पुतिन ने उन्हें अकेले एक विशेष डिनर के लिए आमंत्रित किया था। इस बार भारत उसी गर्मजोशी को आगे बढ़ा रहा है।
कौन-कौन सी डील होंगी साइन?
भारत और रूस के बीच जिन क्षेत्रों में समझौते होंगे, उनमें शामिल हैं—
- फार्मा (दवाइयां)
- एग्रीकल्चर और एग्रो-प्रोडक्ट्स
- फर्टिलाइजर्स
- इंजीनियरिंग गुड्स
- आईटी और टेक्नोलॉजी
इसके साथ ही पारंपरिक क्षेत्रों सिविल न्यूक्लियर एनर्जी और स्पेस सहयोग में भी महत्वपूर्ण प्रगति होने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि रूस भारत में छोटे मॉड्यूलर न्यूक्लियर रिएक्टर के निर्माण में सहायता का प्रस्ताव रख सकता है।
पुतिन के साथ आएगा मजबूत रूसी प्रतिनिधिमंडल
इस बार राष्ट्रपति पुतिन के साथ रूस के सात वरिष्ठ मंत्री, शीर्ष अधिकारी और एक बड़ा व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भारत आ रहा है।
दल में रूस के—
- रक्षा मंत्री
- वित्त मंत्री
- केंद्रीय बैंक के गवर्नर
भी शामिल हैं।
यह उच्चस्तरीय प्रतिनिधित्व बताता है कि रूस भारत के साथ आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को नई दिशा देना चाहता है।
भारत दौरे पर पुतिन का बयान
मॉस्को में वीटीबी इन्वेस्टमेंट फोरम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति पुतिन ने कहा था कि वे भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार में भारतीय आयात बढ़ाने को लेकर चर्चा करेंगे। उन्होंने बताया कि पिछले तीन वर्षों में भारत और चीन के साथ रूस का व्यापार उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है।
इस बार की बैठक में व्यापार, निवेश और आर्थिक सहयोग के कई प्रमुख क्षेत्रों पर मिलकर आगे बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं।वना वाला माना जाता है।
लेकिन चर्चा बढ़ने से यह मुद्दा राजनीतिक और मीडिया हलकों में दिलचस्पी का विषय बन गया है।