
नई दिल्ली: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से पहले एक दावा तेजी से सुर्खियों में है—कि पुतिन अपने साथ एक हमशक्ल यानी बॉडी डबल लेकर आ रहे हैं। यह दावा कितना सच है, कितना मिथक—इस पर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। हालांकि, आधिकारिक रूप से इन दावों की न तो पुष्टि हुई है और न ही खंडन, लेकिन पुतिन के ‘बॉडी डबल्स’ की चर्चा कोई नई नहीं है।
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में यह दावा वर्षों से चर्चा में रहा है कि पुतिन सुरक्षा कारणों से कभी-कभी अपने हमशक्लों का इस्तेमाल करते हैं।
रूस की विपक्षी मीडिया भी कई बार कह चुकी है कि पुतिन के सार्वजनिक कार्यक्रमों, विदेश यात्राओं या असुरक्षित इलाकों में जाने के दौरान “वैकल्पिक पुतिन” तैनात किए जाते हैं।
हालांकि रूस सरकार इसे ‘प्रचार’ और ‘अफवाह’ बताती आई है।
भारत दौरे से जुड़ा ताजा दावा क्यों चर्चा में?
पुतिन के भारत दौरे के मद्देनज़र सोशल मीडिया पर यह चर्चा तेज हो गई है कि उनके कुछ आधिकारिक कार्यक्रमों में असली पुतिन मौजूद होंगे, जबकि भीड़भाड़ वाले या उच्च सुरक्षा जोखिम वाले आयोजनों में उनका हमशक्ल दिखाई दे सकता है।
हालांकि यह दावा किसी आधिकारिक स्रोत पर आधारित नहीं है, इसलिए फिलहाल यह सिर्फ अटकल के दायरे में है।
क्या दुनिया के अन्य नेता भी करते हैं ऐसा?
बॉडी डबल्स की अवधारणा नई नहीं है।
- इराक़ के सद्दाम हुसैन,
- हिटलर,
- और उत्तर कोरिया के कई नेताओं के बारे में भी ऐसे दावे रहे हैं कि सुरक्षा कारणों से कभी-कभी उनके हमशक्लों का उपयोग किया गया।
विशेषज्ञ कहते हैं कि किसी भी देश के टॉप-लेवल नेता की सुरक्षा व्यवस्था कई स्तरों पर आधारित होती है और कुछ देशों में “डिकॉय स्टैंडर्ड” यानी हमशक्ल तैनाती भी इसका हिस्सा होता है।
भारत दौरे पर क्या असर?
अगर ऐसे दावों में जरा भी सच्चाई हो, तो पुतिन के हमशक्ल की मौजूदगी का मकसद सिर्फ सुरक्षा बढ़ाना होगा।
हालांकि भारत और रूस के बीच भरोसे भरे रिश्ते को देखते हुए ऐसी रणनीति का इस्तेमाल बहुत कम संभावना वाला माना जाता है।
लेकिन चर्चा बढ़ने से यह मुद्दा राजनीतिक और मीडिया हलकों में दिलचस्पी का विषय बन गया है।
अफवाह या रणनीति?
फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि भारत दौरे पर पुतिन अपने बॉडी डबल के साथ आएंगे या नहीं।
लेकिन इतना तय है कि पुतिन से जुड़े ऐसे दावे दुनिया भर में उत्सुकता पैदा करते हैं—और इस बार भारत दौरे ने इस चर्चा को और हवा दे दी है।