
वृंदावन की पावन धरती से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने हर किसी का दिल दहला दिया। एक युवक, जो अपने कैंसर पीड़ित माता-पिता का इकलौता सहारा था, प्रेमानंद महाराज के प्रवचनों से गहरे प्रभावित होकर घर-परिवार छोड़ वृंदावन आ गया। अब टूटे दिल से उसके माता-पिता महाराज जी से गुहार लगा रहे हैं—“उसे घर भेज दीजिए महाराज, वही हमारा एकमात्र सहारा है।”
वायरल वीडियो ने झकझोरा मन
सोमवार शाम माता-पिता का बनाया एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। वीडियो में दोनों माता-पिता के चेहरे पर बीमारी का दर्द और बेटे के चले जाने की पीड़ा साफ झलकती है।
मां-पिता दोनों कैंसर से पीड़ित हैं और बेटे पर ही पूरी तरह निर्भर थे। बेटे के अचानक घर छोड़ने से वे भावनात्मक रूप से बुरी तरह टूट गए हैं।
“मां-बाप की सेवा सबसे बड़ी सेवा” — माता-पिता की अपील
वीडियो में माता-पिता बार-बार प्रेमानंद महाराज से folded hands में विनती करते दिखाई देते हैं। वे कहते हैं—
“महाराज जी! आप स्वयं कहते हैं कि मां-बाप की सेवा सबसे बड़ी सेवा है। हमारा बेटा आपका भक्त बनकर हमें छोड़ आया है। उससे कहिए कि वापस लौट आए… हम अकेले नहीं जी पाएंगे।”
पिता ने बताया कि वे खुद बेटे को वृंदावन दर्शन कराने लाए थे और उसे गुरु दीक्षा भी दिलवाई थी। लेकिन बेटे का घर से नाता तोड़ लेना उन्हें भीतर तक हिला गया है।
वृंदावन के साधु-संत भी चिंतित
इस घटना ने वृंदावन की संत समाज और भक्त मंडली में भी चर्चा छेड़ दी है। कई लोग कह रहे हैं कि आध्यात्मिक मार्ग अपनाना गलत नहीं, लेकिन माता-पिता की सेवा से मुंह मोड़ना धर्म मार्ग नहीं हो सकता।
भक्त समुदाय में सहानुभूति की लहर
वीडियो सोशल मीडिया पर लाखों लोगों तक पहुंच चुका है। हर कोई माता-पिता के दर्द को महसूस कर रहा है और प्रेमानंद महाराज से अपील कर रहा है कि वे युवक को समझाएं—धर्म वही है जो परिवार के प्रति कर्तव्य निभाए।
यह मामला भक्तिभाव, कर्तव्य और परिवार की पीड़ा—तीनों के बीच गहरे संघर्ष को उजागर करता है। अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि महाराज प्रेमानंद इस भावुक अपील पर क्या निर्णय लेते हैं।