
गाजियाबाद, 2 दिसंबर। दिल्ली-एनसीआर की जहरीली हवा के बीच गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन स्थित ब्रेव हार्ट्स सोसाइटी ने प्रदूषण से निपटने का अनोखा और कारगर तरीका अपनाया। सोसाइटी की एओए द्वारा की गई कृत्रिम बारिश ने धूल को बैठाने और हवा को शुद्ध करने में उल्लेखनीय प्रभाव दिखाया। महज कुछ मिनटों में हवा साफ महसूस होने लगी और दृश्यता भी सुधर गई।
ऊंचाई से छोड़ा गया पानी, धूल का गुबार हुआ शांत
सोसाइटी एओए के पदाधिकारियों ने टावर की ऊंचाई से नियंत्रित रूप से पानी का छिड़काव किया, जो सीधे खुले क्षेत्रों में तैर रही महीन धूल पर गिरा। जिन स्थानों पर लगातार धुएं जैसी धूल दिखाई देती थी, वहां कुछ ही क्षणों में वातावरण साफ हो गया।
निवासियों के अनुसार, कई दिनों बाद हवा में ताजगी महसूस हुई और सांस लेना आसान हो गया।
हरियाली भी लौटी, माइक्रो AQI में सुधार
कृत्रिम बारिश का असर केवल सड़कों तक सीमित नहीं रहा। पेड़-पौधों पर महीनों से जमी धूल की परत हटते ही हरियाली भी निखर उठी।
सोसाइटी समिति के अध्यक्ष एडवोकेट लविश त्यागी ने बताया कि यह प्रक्रिया न केवल सफाई में मददगार है बल्कि सोसाइटी के माइक्रो AQI में तत्काल सुधार लाती है।
उनके अनुसार, “यह कोई फैंसी प्रयोग नहीं, बल्कि प्रदूषण संकट के दौरान स्वास्थ्य सुधार का एक प्रभावी मॉडल है।”
अन्य सोसायटियों के लिए भी मॉडल बन सकता है प्रयोग
त्यागी ने सुझाव दिया कि आसपास की अन्य सोसायटियाँ भी सप्ताह में एक-दो बार कुछ मिनट के लिए इसी तरह की कृत्रिम बारिश का उपयोग करें। इससे पूरे इलाके की वायु गुणवत्ता में बड़ा सुधार संभव है।
कम खर्च, कम समय और तेज़ असर—इन्हीं खूबियों के कारण यह तरीका प्रदूषण नियंत्रण का बेहद कारगर विकल्प बनकर उभरा है।