Tuesday, November 25

अफ्रीका के कैमरून में फंसे झारखंड के पांच श्रमिक, वीडियो जारी कर सरकार से लगाई वतन वापसी की गुहार

हजारीबाग/गिरिडीह। झारखंड के प्रवासी श्रमिकों के विदेश में फंसने का एक और मामला सामने आया है। हजारीबाग और गिरिडीह जिले के पांच मजदूर अफ्रीकी देश कैमरून में कठिन परिस्थितियों में जीवन गुजारने को मजबूर हैं। इन श्रमिकों ने एक वीडियो जारी कर भारत सरकार से जल्द मदद की अपील की है। उनका आरोप है कि कंपनी उन्हें काम के बदले मजदूरी नहीं दे रही है, जिसके कारण खाने-पीने और रहने तक की समस्या खड़ी हो गई है।

कौन-कौन श्रमिक हैं फंसे?

जानकारी के अनुसार कैमरून में फंसे श्रमिकों में शामिल हैं—

  • विष्णुगढ़ (ऊंचाघना) हजारीबाग के सुनील महतो
  • सुकर महतो
  • चंद्रशेखर कुमार
  • डीलो महतो
  • गिरिडीह जिले के डुमरी निवासी दिलचंद महतो

ये सभी मजदूरी के सिलसिले में विदेश गए थे, लेकिन अब वहां बिना वेतन और खराब हालात में रह रहे हैं।

मजदूरी न मिलने से बिगड़े हालात

श्रमिकों ने वीडियो संदेश में बताया कि जिस कंपनी ने उन्हें रोजगार दिया था, उसने कई महीनों से भुगतान रोक दिया है। पैसे न मिलने के कारण उनके पास भोजन खरीदने और रहने की व्यवस्था करने के लिए भी साधन नहीं बचे हैं। उन्होंने अपनी जान को खतरा बताते हुए भारत सरकार से तत्काल उन्हें वापस लाने की अपील की है।

सामाजिक कार्यकर्ता ने उठाई आवाज

प्रवासी श्रमिकों की मदद के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता सिकंदर अली ने केंद्र और राज्य सरकार से इन श्रमिकों की सुरक्षित और शीघ्र वापसी सुनिश्चित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब झारखंड के मजदूर विदेशी कंपनियों के चंगुल में फंस गए हों। अधिक कमाई के लालच में कई लोग विदेश जाते हैं, लेकिन धोखे का शिकार होकर कठिन परिस्थितियों में फंस जाते हैं।

पहले भी लौटाए गए मजदूर

गौरतलब है कि इसी महीने सरकारी प्रयासों से ट्यूनीशिया में फंसे 48 मजदूरों को वापस लाया गया था। हालांकि गिरिडीह जिले के बगोदर के पांच अगवा मजदूर पिछले सात महीनों से नाइजर में बंद हैं और उनकी रिहाई अब तक नहीं हो पाई है। वहीं डुमरी के प्रवासी मजदूर विजय कुमार महतो का शव एक महीने से सऊदी अरब में पड़ा है, जिसकी वतन वापसी का इंतजार जारी है।

प्रवासी श्रमिकों से जुड़े लगातार ऐसे मामलों ने सरकार और एजेंसियों के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। अब देखने वाली बात यह होगी कि कैमरून में फंसे इन पांच मजदूरों की घर वापसी कब और कैसे हो पाती है।

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