
रतलाम: रतलाम मेडिकल कॉलेज में बुधवार शाम अंधविश्वास का हैरान करने वाला मामला सामने आया, जब आदिवासी समाज के लगभग दस लोग एक मृत व्यक्ति की ‘आत्मा’ लेने अस्पताल पहुंचे। ढोल-थाली बजाते हुए महिला-पुरुष सीधे वार्ड क्षेत्र में घुस गए और करीब एक घंटे तक धार्मिक अनुष्ठान किया। इस दौरान किसी ने उन्हें रोकने की कोशिश भी नहीं की।
तीन महीने पहले हुई थी युवक की मौत
झावनी झोड़िया गांव से आई यह टोली शांतिलाल झोड़िया नामक युवक की आत्मा को लेने पहुंची थी। शांतिलाल कीटनाशक पीने से तीन माह पहले मेडिकल कॉलेज में उपचार के दौरान मौत हो गई थी। परिजनों का दावा है कि आदिवासी परंपरा के अनुसार आकस्मिक मृत्यु की स्थिति में मृतक की आत्मा को उसी स्थान से लेकर गांव में स्थापित किया जाता है।
तलवार लहराई, सिर से बहा खून
हंगामे के दौरान महिलाएं गीत गाती रहीं और ढोल-थाली की आवाज़ से पूरा परिसर गूंज उठा। एक व्यक्ति तलवार लहराते हुए चलता दिखाई दिया, जबकि दूसरे के सिर से खून बह रहा था। टोली के साथ पूजा सामग्री, नारियल और एक पत्थर भी लाया गया, जिसे मृतक की आत्मा का प्रतीक बताया गया।
गांव में देवता के रूप में स्थापित करेंगे आत्मा
परिवार के मुताबिक, शांतिलाल की आत्मा उनके ही रिश्तेदार की बेटी को परेशान कर रही थी और ‘मेडिकल कॉलेज से ले जाने’ की बात कह रही थी। इसलिए पत्थर के रूप में आत्मा को लेकर गांव लौटाया गया, जहां ओटला बनाकर देवता के रूप में स्थापित किया जाएगा। मृतक के परिवार में पत्नी और तीन बच्चे हैं।
सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
मेडिकल कॉलेज में सामान्यतः गार्ड मरीजों के परिजनों के अलावा किसी को प्रवेश नहीं देते, लेकिन इस दौरान पूरी प्रक्रिया बिना रोक-टोक चलती रही। अस्पताल प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था पर अब सवाल खड़े हो गए हैं कि करीब एक घंटे तक चलने वाली इस घटना के बावजूद किसी ने हस्तक्षेप क्यों नहीं किया।