
आंध्र प्रदेश के पुट्टापर्थी में जन्मे दिव्य संत सत्य साईं बाबा की जन्म शताब्दी 23 नवंबर को श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई जा रही है। पुट्टापर्थी स्थित उनका आश्रम – प्रशांति निलयम, आज भी विश्वभर के करोड़ों भक्तों के लिए आध्यात्मिक शक्ति और सेवा का केंद्र है।
कौन थे सत्य साईं बाबा?
सत्य साईं बाबा को दुनिया के सबसे सम्मानित आध्यात्मिक गुरुओं में गिना जाता है। उन्हें उनके अनुयायी सत्य साई बाबा, साई बाबा, स्वामी या बाबा के नाम से पुकारते हैं। उन्होंने धर्म, सत्य, शांति, प्रेम और अहिंसा को जीवन का आधार बनाने का संदेश दिया। उनके जीवन और शिक्षाओं ने धर्म, जाति, भाषा और सीमाओं के सभी बंधनों को पार करते हुए मानवता को एक सूत्र में पिरोने का काम किया।
जन्म और जीवन यात्रा
सत्य साईं बाबा का जन्म 23 नवंबर 1926 को पुट्टापर्थी के छोटे से गांव में सत्यनारायण राजू के रूप में हुआ। बचपन से ही उनमें आध्यात्मिक झुकाव और अलौकिक चमत्कार दिखाई देने लगे। 20 अक्टूबर 1940 को उन्होंने स्वयं को ‘अवतार’ – दिव्य ऊर्जा का साकार रूप घोषित किया और मानवता की सेवा का महान मिशन आरंभ किया।
संदेश: प्रेम, सेवा और करुणा
बाबा ने जीवनभर प्रेम, करुणा, सेवा और निस्वार्थ त्याग का संदेश दिया। शिक्षा, स्वास्थ्य और पेयजल जैसी सामाजिक सेवाओं के माध्यम से उन्होंने समाज के कमजोर वर्गों को मजबूत किया। उनका सरल लेकिन गहरा संदेश था – “सबका प्रेम करो, सबकी सेवा करो। हर मनुष्य में दिव्यता है।”
शिष्य और अनुयायी
सत्य साईं बाबा की आस्था केवल भारत तक सीमित नहीं थी। उनके शिष्य दुनिया भर के 150 से अधिक देशों में मौजूद हैं। पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, कई राजनेता और फिल्म अभिनेता बाबा को अपना गुरु मानते थे। सचिन अपनी किट में बाबा की तस्वीर रखते थे और बालों के घुँघराले होने का श्रेय भी बाबा के आशीर्वाद को मानते थे।
शताब्दी समारोह में दिग्गजों की मौजूदगी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा की शताब्दी समारोह में भाग लेने के लिए पुट्टापर्थी हवाई अड्डे पर पहुंचकर भव्य स्वागत किया। उनके साथ आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू, उपमुख्यमंत्री के. पवन कल्याण और कई जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहे। प्रधानमंत्री ने प्रशांति निलयम स्थित बाबा की महासमाधि पर विशेष पूजा-अर्चना की और किसानों के लिए गोदानम् कार्यक्रम में चार किसानों को गोदान किया।
सत्य साईं बाबा का जीवन और उनके संदेश आज भी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा और आध्यात्मिक मार्गदर्शन का स्रोत हैं।