
आज हम अपने स्मार्टफोन को आसानी से जेब में डालकर कहीं भी ले जा सकते हैं। हल्का, कॉम्पैक्ट और सुविधाजनक — लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मोबाइल का वजन साढ़े 9 किलो भी हो सकता है? जी हाँ, करीब 43 साल पहले ऐसा फोन सचमुच मौजूद था।
मोबाइरा सीनेटर: एक तकनीकी क्रांति
साल 1982 में मोबाइरा सीनेटर फोन लॉन्च हुआ। इसे मोबाइरा कंपनी ने बनाया था, जो नोकिया और सालोरा की साझेदारी का परिणाम थी। यह फोन यूरोप के पहले मोबाइल नेटवर्क NMT-450 पर चलता था और शुरुआती मोबाइल फोन में से एक था जिसे आम लोग खरीद सकते थे।
मोबाइरा सीनेटर का वजन लगभग 9.5 से 9.8 किलो (21–22 पाउंड) था। इतना भारी होने के बावजूद यह फोन उस समय की मोबाइल तकनीक में बड़ी उपलब्धि साबित हुआ। इससे पहले लोग केवल फिक्स्ड लाइन यानी लैंडलाइन फोन का ही इस्तेमाल कर सकते थे।
ब्रीफकेस जैसा डिजाइन
मोबाइरा सीनेटर का डिज़ाइन बड़े ब्रीफकेस जैसा था। इसे खास तौर पर कार फोन के रूप में इस्तेमाल करने के लिए बनाया गया था। बाद में इसका एडवांस मॉडल ‘मोबाइरा सीनेटर कॉम्बी’ आया, जिसे कार के साथ-साथ बाहर भी इस्तेमाल किया जा सकता था।
भारी वजन, लेकिन नए रास्ते खोले
हालांकि फोन इतना भारी था कि इसे उठाना मुश्किल था, यह मोबाइल तकनीक की दुनिया में एक बड़ी शुरुआत साबित हुआ। इसने नोकिया के मोबाइल कारोबार की नींव रखी और आगे चलकर हल्के, हाथ में पकड़ने योग्य फोन जैसे मोबाइरा सिटीमैन के विकास का मार्ग प्रशस्त किया।
नोकिया के अन्य फेमस मॉडल
नोकिया ने इसके बाद कई लोकप्रिय मोबाइल फोन बनाए। Nokia 1011 शुरुआती GSM फोन में से एक था। Nokia 1100 अपनी मजबूत बॉडी और लंबी बैटरी लाइफ के लिए प्रसिद्ध हुआ। इसके अलावा Nokia 6600, N95 और Lumia सीरीज भी दुनियाभर में काफी पॉपुलर रहे।
मोबाइरा सीनेटर भले ही आज भारी और असुविधाजनक लगे, लेकिन यह मोबाइल संचार की दुनिया में क्रांति का प्रतीक बन गया।