
छोटी हरदा, आकाश सिकरवार
मध्य प्रदेश के छोटी हरदा में एक दूल्हे अमित (सिद्धू) और उनके पिता ने दहेज प्रथा के खिलाफ एक मिसाल कायम की है। अमित और उनके पिता ने दहेज में मिले 7 लाख रुपये लौटाकर केवल एक रुपया और नारियल स्वीकार किया, यह कहते हुए कि उन्हें बेटी चाहिए, दहेज नहीं।
सावे के दौरान लिया फैसला
22 नवंबर को भुवन खेड़ी निवासी जयश्री से विवाह तय था। रविवार को सावे के दौरान वधू पक्ष ने दहेज के रूप में 7 लाख रुपये भेजे। अमित ने इस मामले पर अपने पिता से विचार विमर्श किया और तय किया कि यह राशि स्वीकार नहीं की जाएगी। वधू के पिता रामशंकर भारी के सम्मान में केवल एक रुपये का नेग और नारियल लिया गया।
समाज में सराहनीय पहल
इस पहल को जाट समाज सहित पूरे जिले में सराहा जा रहा है। देशभर में दहेज के कारण होने वाली घटनाओं और महिलाओं पर हो रही प्रताड़ना के बीच अमित और उनके पिता का यह कदम सकारात्मक संदेश बन गया है। अमित ने कहा, “कन्यादान से बड़ा कोई दान नहीं है। दहेज एक सामाजिक बुराई है जिसे समाप्त करना अत्यंत आवश्यक है।”
फैसले पर अड़े रहे दूल्हा और पिता
सावे के दौरान वधू पक्ष ने बार-बार राशि देने का अनुरोध किया, लेकिन दूल्हा और उनके पिता अपने निर्णय पर अड़े रहे। पूजन पाठ में सिर्फ नारियल और एक रुपये का नेग लेकर उन्होंने समाज को यह संदेश दिया कि विवाह का वास्तविक अर्थ स्नेह और सम्मान है, न कि धन।
यह शादी देशभर के लिए दहेज प्रथा के खिलाफ एक प्रेरक उदाहरण बन गई है।