Saturday, December 13

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: NDA के तूफान में उड़ा ‘महागठबंधन’, टॉप पर पहुंची BJP, अमित शाह की रणनीति ने तय किया खेल

अहमदाबाद/पटना: बिहार विधानसभा चुनावों के नतीजों ने पूरे देश की राजनीति में हलचल मचा दी है। यूपी के बाद राजनीतिक दृष्टि से अहम माने जाने वाले बिहार में एनडीए की प्रचंड जीत ने महागठबंधन को पीछे छोड़ दिया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति इस चुनाव में निर्णायक साबित हुई और एनडीए को अनुमान से ज्यादा सीटें मिलीं। अमित शाह ने पहले ही एनडीए की जीत का अनुमान 160 सीटों के आसपास लगाया था, लेकिन वास्तविक नतीजे इसे भी पीछे छोड़ते हुए सामने आए।

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अमित शाह की रणनीति के 5 प्रमुख कारण:

  1. भरोसेमंद नेताओं पर दांव: अमित शाह ने बिहार चुनावों के लिए बेहद भरोसेमंद और ‘जीरो एरर’ वाले नेताओं को तैनात किया। धर्मेंद्र प्रधान को प्रभारी, यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल को सह प्रभारी बनाया गया। गुजरात में चुनाव जीताने का अनुभव रखने वाले पाटिल और अनुभवी संगठनकर्ता विनोद तावड़े ने ground level पर शाह की रणनीति को सटीक रूप से लागू किया।
  2. एनडीए में समन्वय: महागठबंधन की कमज़ोर कड़ी को देखते हुए बीजेपी ने जेडीयू के साथ तालमेल बढ़ाया। जीतन राम मांझी, चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा जैसे सहयोगियों के साथ सीटों का संतुलन तय किया गया। इससे पूरे बिहार में बीजेपी की सकारात्मक छवि बनी और प्रचार संदेश प्रभावी रहे।
  3. गुजरात में भी फोकस: गुजरात में दिवाली से पहले मंत्रिमंडल फेरबदल के दौरान अमित शाह ने पूरी तरह बिहार पर ध्यान रखा। गुजरात के राजनीतिक घटनाक्रम के बावजूद बिहार की रणनीति में उन्होंने कोई कमी नहीं छोड़ी।
  4. बागियों का प्रबंधन: चुनाव से पहले बिहार में करीब 100 बागियों के विरोध को अमित शाह ने व्यक्तिगत रूप से सुलझाया। टीवी इंटरव्यू और लगातार मीटिंग के माध्यम से उन्होंने बागियों को मनाया, जिससे बीजेपी और जेडीयू प्रत्याशियों को बढ़त मिली।
  5. PK फैक्टर को खारिज: प्रशांत किशोर द्वारा उठाए गए PK फैक्टर और सम्राट चौधरी को लेकर विपक्ष के दांव को अमित शाह ने नाकाम कर दिया। उन्होंने एनडीए सहयोगियों को रणनीति के मुताबिक सीटें दीं और महागठबंधन में कांग्रेस और वीआईपी की कमजोर कड़ी को भुनाया।

नतीजा: बिहार चुनाव ने साफ कर दिया कि पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी देश की राजनीति में सबसे मजबूत चुनावी मशीन है। एनडीए की जीत ने विपक्ष के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है और बिहार की राजनीति में अमित शाह की भूमिका फिर से निर्णायक साबित हुई है।

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