
नई दिल्ली, संवाददाता: दिल्ली लाल किला ब्लास्ट ने राजधानी को दहशत में डाल दिया। इस दर्दनाक धमाके में 12 लोगों की मौत हुई। मौके पर पहुंचे एंबुलेंस ड्राइवर्स ने अपने आंखों देखे मंजर को आज भी याद कर रोंगटे खड़े कर देने वाले अनुभव साझा किए।
🔹 धमाके का भयानक मंजर
एंबुलेंस ड्राइवर मोहम्मद फैजान बताते हैं, “धमाके की वह शाम अब भी भूल नहीं पाता। जब एंबुलेंस लेकर मौके पर पहुंचे तो इतना धुआं था कि समझ ही नहीं आ रहा था कि कौन कहां पड़ा है। वहां शरीर के अलग-अलग हिस्से बिखरे हुए थे। पुलिस उन्हें उठाकर हमें दे रही थी। हमने तुरंत घायलों को अस्पताल पहुंचाया, लेकिन उस दिन केवल एक व्यक्ति ही जीवित बचा था।”
फैजान ने बताया कि उस भयावह मंजर को देखकर उनकी भूख ही मर गई और अगले दिन कुछ खाने की इच्छा नहीं हुई।
🔹 चेहरों की पहचान भी मुश्किल
एंबुलेंस ड्राइवर बब्बू मलिक ने बताया, “हमने जब वहां पहुंचे तो बॉडीज का चेहरा ही नहीं था। कई की हाथ-पैर नहीं थे, कुछ की आंतें बाहर दिख रही थीं। उस दिन मेरी रूह कांप गई।”
उन्होंने आगे कहा कि तीन मृतक और एक जीवित व्यक्ति थे। जीवित व्यक्ति चोटिल जरूर था, लेकिन वह अपने परिवार को खोज रहा था। “हमने उसे अस्पताल पहुंचाया और एंबुलेंस से ही उसकी पत्नी से कॉल करवाई, जो अपने बच्चे के साथ वहां पहुंच गई थी। वे ठीक थे।”
🔹 आंखों देखी दहशत, समाज में सदमे की लहर
ब्लास्ट की भयावहता ने न केवल एंबुलेंस ड्राइवर्स बल्कि पूरे इलाके के लोगों को सदमा दिया। उस दिन की यादें, शवों की विभीषिका और बचाव के संघर्ष ने एंबुलेंस ड्राइवर्स के जीवन पर गहरा प्रभाव छोड़ा है।