Thursday, November 13

RJD नेता की धमकी—”काउंटिंग में गड़बड़ी हुई तो सड़कों पर नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका जैसे हालात होंगे”

पटना, संवाददाता: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों से ठीक पहले सियासी पारा चढ़ गया है। आरजेडी (RJD) के एमएलसी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के मुंहबोले भाई सुनील कुमार सिंह के विवादित बयान ने राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है। सुनील सिंह ने चेतावनी दी है कि यदि मतगणना के दौरान किसी भी तरह की गड़बड़ी या धांधली हुई, तो बिहार की सड़कों पर “नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसा नजारा” देखने को मिलेगा।

यह बयान जैसे ही सामने आया, एनडीए (NDA) खेमे में हड़कंप मच गया। सत्ताधारी दलों ने इसे “सीधी धमकी” बताते हुए चुनाव आयोग और प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है।

🔹 RJD की चेतावनी: ‘अगर गिनती में हेराफेरी हुई तो जनता सड़कों पर उतरेगी’

एमएलसी सुनील सिंह ने कहा,

“यह चुनाव बदलाव के लिए हुआ है। जनता ने नीतीश कुमार और बीजेपी की सरकार को पूरी तरह नकार दिया है। अगर मतगणना में कोई गड़बड़ी की गई, तो बिहार की जनता चुप नहीं बैठेगी, सड़कों पर नेपाल जैसा नजारा दिखेगा।”

उन्होंने 2020 के चुनाव का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि उस समय भी गिनती घंटों तक रोककर नतीजों को प्रभावित करने की कोशिश की गई थी। इस बार भी यदि वैसी स्थिति बनी, तो आरजेडी कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आएंगे।

🔹 NDA ने बताया ‘राजनीतिक हताशा का नतीजा’

RJD के बयान पर पलटवार करते हुए बीजेपी प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि आरजेडी पहले से जानती है कि जनता ने उन्हें नकार दिया है।

“अब वे मतगणना से पहले माहौल बिगाड़ने और जनता को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। बिहार में कानून व्यवस्था मजबूत है, कोई भी व्यक्ति या दल अराजकता फैलाने की कोशिश करेगा तो सख्त कार्रवाई होगी।”

एनडीए नेताओं का कहना है कि यह बयान जनता में भय पैदा करने और अपनी संभावित हार को ढकने की रणनीति है।

🔹 14 नवंबर को नतीजों से पहले बढ़ा तनाव

बिहार में 14 नवंबर को वोटों की गिनती होनी है, जिसके बाद यह तय होगा कि सत्ता की बागडोर किसके हाथ में जाएगी। नतीजों से एक दिन पहले ही इस तरह के बयान ने सियासी तापमान बढ़ा दिया है।

प्रशासन और चुनाव आयोग अब सतर्क मोड में हैं, ताकि मतगणना प्रक्रिया शांतिपूर्ण और पारदर्शी तरीके से पूरी की जा सके।

📰 निष्कर्ष:
बिहार की सियासत में बयानबाजी का पारा लगातार बढ़ रहा है। एक ओर जहां आरजेडी “जनता के जनादेश” का हवाला देते हुए चेतावनी दे रही है, वहीं एनडीए “कानून व्यवस्था” की कसौटी पर कड़ा रुख दिखा रहा है। अब सबकी निगाहें 14 नवंबर की मतगणना पर टिकी हैं — जहां तय होगा कि बिहार की सत्ता की बिसात पर कौन बाजी मारता है।

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