
नई दिल्ली — सोमवार शाम लाल किले के पास हुए ज़बरदस्त धमाके में शुरुआती फोरेंसिक जांच में अमोनियम‑नाइट्रेट‑फ्यूल‑ऑयल (ANFO) और डिटोनेटर के अवशेष मिले हैं। इस धमाके में कम से कम 8–10 लोगों की मौत हुई और दर्जनों घायल हुए हैं; जांच में शामिल एजेंसियाँ घटनास्थल से साक्ष्य इकट्ठा कर रही हैं। ([AP News][1])
ANFO एक सामान्य रूप से इस्तेमाल होने वाला बल्क‑औद्योगिक विस्फोटक मिश्रण है, जिसमें आमतौर पर लगभग 94% अमोनियम‑नाइट्रेट और 6% फ्यूल‑ऑयल (जैसे डीज़ल) होता है। यह मिश्रण अपने आप से आसानी से दहनशील नहीं होता — पर यदि इसे हाई‑एनर्जी प्राइमर या डिटोनेटर से सक्रिय किया जाए तो तेज़ विस्फोट और शक्तिशाली शॉक‑वेव पैदा कर देता है। ([Wikipedia][2])
कार क्यों खतरनाक साबित होती है? फ्यूल‑ऑयल अमोनियम‑नाइट्रेट के छिद्रों में समा जाता है, जिससे इसे बनाना और ढोना आसान रहता है। पर इसकी संवेदनशीलता कम होने के कारण डिटोनेटर‑जैसी उच्च‑ऊर्जा चीज़ की आवश्यकता होती है; एक बार डिटोनेशन शुरू होने पर रासायनिक प्रतिक्रिया भारी मात्रा में गर्म गैसें बनाती है और विनाशकारी प्रभाव छोड़ती है। विस्फोट के बाद कार्बन‑मोनोक्साइड/नाइट्रोजन‑ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें भी बन सकती हैं। ([Wikipedia][2])
भारत में अमोनियम‑नाइट्रेट के ऊपर कड़ा नियम लागू है। केंद्रीय सरकारी नियमों के तहत ‘अमोनियम‑नाइट्रेट’ (या किसी मिश्रण में 45% से अधिक अमोनियम‑नाइट्रेट) को विस्फोटक मानकर नियंत्रित किया जाता है — इसके आयात, भंडारण, परिवहन और बिक्री के लिए विशिष्ट लाइसेंस और सुरक्षा मानदंड तय हैं। ऐसे नियमों का उद्देश्य कृषि‑उपयोग से जुड़े निष्पादन को बरकरार रखते हुए दुरुपयोग रोकना है। ([PESO][3])
ANFO का आतंकवादी इस्तेमाल: सस्ती उपलब्धता, सरल निर्माण और प्रभावशीलता के कारण ANFO का दुरुपयोग आईईडी/कार‑बोम्ब में होता रहा है। इसलिए सुरक्षा‑एजेंसियाँ ऐसे केमिकल्स पर निगरानी और नियंत्रण बढ़ाती हैं। दिल्ली जांच में मिली प्रारंभिक रिपोर्ट ANFO और डिटोनेटर के संकेत दे रही है, इसलिए जांच‑एजेंसियाँ सभी संभावित कड़ियों का पता लगा रही हैं।