Tuesday, December 30

दुश्मन पर निगरानी और प्रहार की क्षमता होगी और मजबूत भारत ने दो और ‘प्रीडेटर’ ड्रोन की लीज को दी मंजूरी, 79 हजार करोड़ की मेगा रक्षा डील पर मुहर

 

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नई दिल्ली। भारत ने अपनी सैन्य ताकत और रणनीतिक निगरानी क्षमता को नई ऊंचाई देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। रक्षा मंत्रालय ने करीब 79 हजार करोड़ रुपये की मेगा डिफेंस डील को शुरुआती मंजूरी दे दी है। इस पैकेज में फ्रांस और इजराइल में बनी अत्याधुनिक मिसाइलों से लेकर ‘मेक इन इंडिया’ कामिकेज ड्रोन, काउंटर-ड्रोन सिस्टम और दो अतिरिक्त MQ-9B ‘प्रीडेटर’ ड्रोन की लीज शामिल है।

 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) से मिली यह मंजूरी अब तक की सबसे बड़ी सैन्य आधुनिकीकरण परियोजनाओं में से एक मानी जा रही है। सूत्रों के अनुसार, यह लंबी खरीद प्रक्रिया का पहला और अहम चरण है।

 

दो और प्रीडेटर ड्रोन, समुद्री निगरानी को मिलेगी धार

 

DAC ने 1,600 करोड़ रुपये की लागत से दो MQ-9B ‘प्रीडेटर’ हाई-एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस ड्रोन को तीन साल के लिए लीज पर लेने की स्वीकृति दी है। ये ड्रोन नौसेना के लंबी दूरी के समुद्री निगरानी अभियानों में इस्तेमाल किए जाएंगे।

 

फिलहाल नौसेना के पास दो ऐसे ड्रोन पहले से मौजूद हैं। नए ड्रोन तब तक निगरानी की जरूरत पूरी करेंगे, जब तक कि अमेरिका के साथ अक्टूबर 2024 में हुई 3.8 बिलियन डॉलर की डील के तहत भारत को 2029-30 तक 31 सशस्त्र MQ-9B ड्रोन नहीं मिल जाते।

 

बराक-8 मिसाइलों की बड़ी खरीद

 

इस मेगा डील का सबसे बड़ा हिस्सा 30,000 करोड़ रुपये की लागत से बराक-8 मीडियम रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम की खरीद है। भारत और इजराइल द्वारा संयुक्त रूप से विकसित यह प्रणाली भारतीय वायुसेना और नौसेना के मल्टी-लेयर्ड एयर डिफेंस नेटवर्क की रीढ़ है।

 

बराक-8 की इंटरसेप्शन रेंज 70 किलोमीटर से अधिक है। हाल ही में सीमा पर बढ़े तनाव के दौरान इस सिस्टम ने पाकिस्तान द्वारा छोड़े गए तुर्की ड्रोन और चीनी मिसाइलों के कई प्रयासों को नाकाम किया था।

 

IAF को मिलेंगे छह मिड-एयर रिफ्यूलिंग विमान

 

लंबे समय से अटकी एक और अहम परियोजना को भी मंजूरी मिल गई है। भारतीय वायुसेना के लिए छह मिड-एयर रिफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट खरीदे जाएंगे, जिन पर 9,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने का अनुमान है। इस योजना के तहत इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) छह पुराने बोइंग-767 कमर्शियल विमानों को एयर टैंकर में बदलेगी।

 

मिसाइलों और रॉकेट सिस्टम की मारक क्षमता बढ़ेगी

 

नई मंजूरियों के तहत स्वदेशी हथियार प्रणालियों की मारक क्षमता भी बढ़ाई जाएगी।

 

एस्ट्रा मार्क-2 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल की रेंज बढ़ाई जाएगी।

पिनाका मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम की मौजूदा 75 किमी रेंज को पहले 120 किमी और भविष्य में 300 किमी तक बढ़ाने की योजना है।

DRDO ‘अस्त्र’ मिसाइल की रेंज को 100 किमी से बढ़ाकर 200 किमी करने पर काम कर रहा है।

 

आत्मनिर्भर भारत की ओर बड़ा कदम

 

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह मेगा डील न सिर्फ भारत की हवाई, समुद्री और मिसाइल रक्षा क्षमता को मजबूत करेगी, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को भी नई गति देगी। दुश्मन की हर गतिविधि पर नजर रखने और जरूरत पड़ने पर सटीक जवाब देने की भारत की क्षमता अब और घातक होने वाली है।

 

 

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