
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के सेलाकुई क्षेत्र में त्रिपुरा के अनुसूचित जनजाति समुदाय से जुड़े एमबीए छात्र एंजेल चकमा की मौत का मामला अब राष्ट्रीय स्तर पर तूल पकड़ता जा रहा है। कथित नस्लीय हमले में छात्र की जान जाने के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) ने उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक, देहरादून जिलाधिकारी और एसएसपी अजय सिंह को नोटिस जारी कर तीन दिन के भीतर विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट तलब की है। आयोग की सख्ती के बाद देहरादून पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
नोटिस में उठे तीखे सवाल
आयोग द्वारा जारी नोटिस में पूछा गया है कि—
घटना के बाद एफआईआर दर्ज करने में देरी क्यों हुई?
मेडिकल रिपोर्ट के बावजूद हत्या के प्रयास जैसी गंभीर धाराएं क्यों नहीं जोड़ी गईं?
पीड़ित की सुरक्षा और दोषियों की गिरफ्तारी के लिए समय पर क्या कदम उठाए गए?
आयोग ने स्पष्ट किया है कि वह इस मामले में सिविल न्यायालय की शक्तियों का प्रयोग कर रहा है और अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से या लिखित रूप में जवाब देने के निर्देश दिए गए हैं।
एसएसपी अजय सिंह की सफाई
मामले में बढ़ते दबाव के बीच देहरादून के एसएसपी अजय सिंह ने बयान जारी कर कहा कि पुलिस की जांच लगातार जारी है और अब तक की जांच में नस्लीय टिप्पणी या हेट स्पीच से जुड़ा कोई ठोस प्रमाण सामने नहीं आया है। उन्होंने बताया कि यह घटना दो पक्षों के युवकों के बीच कहासुनी के बाद हुई मारपीट का नतीजा थी।
एसएसपी के अनुसार, 9 दिसंबर को सेलाकुई में हुए विवाद में एंजेल चकमा गंभीर रूप से घायल हुए थे और इलाज के दौरान 26 दिसंबर को उनकी मौत हो गई। इस मामले में दो नाबालिगों सहित कुल पांच आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि एक नेपाल निवासी आरोपी फरार है, जिस पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है। उसकी तलाश में पुलिस टीमें नेपाल भेजी गई हैं।
सोशल मीडिया पर अफवाहों का आरोप
एसएसपी अजय सिंह ने कहा कि सोशल मीडिया पर इस मामले को नस्लीय हिंसा से जोड़कर फैलाया जा रहा है, जबकि जांच में न तो पीड़ित की शिकायत में और न ही अन्य साक्ष्यों में नस्लीय टिप्पणी की पुष्टि हुई है। पुलिस के मुताबिक, यह विवाद एक जन्मदिन पार्टी के दौरान हुई गलतफहमी से शुरू हुआ था।
कौन हैं एसएसपी अजय सिंह?
अजय सिंह वर्तमान में देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हैं।
उन्होंने वर्ष 2005 में डीएसपी के रूप में पुलिस सेवा की शुरुआत की।
2018 में आईपीएस अधिकारी बने (2014 बैच)।
हरिद्वार एसपी, रुद्रप्रयाग, एसटीएफ और पुलिस मुख्यालय में अहम पदों पर कार्य कर चुके हैं।
एसटीएफ में रहते हुए परीक्षा घोटालों पर कड़ी कार्रवाई कर उन्होंने सख्त अधिकारी की पहचान बनाई।
अब एंजेल चकमा हत्याकांड उनके कार्यकाल की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बनकर सामने आया है।
छात्र संगठनों और समाज में आक्रोश
ऑल इंडिया चकमा स्टूडेंट यूनियन ने आयोग को दी शिकायत में आरोप लगाया है कि एंजेल चकमा पर जानलेवा हमला किया गया और पुलिस ने आरोपियों को बचाने के लिए गंभीर धाराएं नहीं लगाईं। इस घटना के विरोध में देहरादून में कैंडल मार्च और श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन किया गया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह मामला केवल एक छात्र की मौत नहीं, बल्कि न्याय और संवैधानिक अधिकारों का सवाल है।
निष्पक्ष जांच की मांग
एंजेल चकमा हत्याकांड अब सिर्फ एक आपराधिक मामला नहीं रह गया है, बल्कि यह प्रशासनिक जवाबदेही और संवेदनशीलता की परीक्षा बन गया है। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सख्ती के बाद यह देखना अहम होगा कि जांच किस दिशा में आगे बढ़ती है और पीड़ित परिवार को न्याय कब और कैसे मिलता है।